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हिंदुस्तान का इतिहास यहां राज करने वाली कई सल्तनतों की बची हुई निशानियों में आज भी सांस लेता है। किले या दुर्ग ऐसी ही निशानियां हैं। आक्रमणकारियों से बचने के लिए दुर्गम जगह पर मौजूदगी, बेहतरीन रहस्यमयी बनावट और भव्यता ने भारत के किलों को पूरी दुनिया में शोहरत दिलाई है। देखिए ऐसे ही 10 ऐतिहासिक किले।
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पन्हाला का किला: यह किला महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के पन्हाेला क्षेत्र में स्थित है। इस किले का निर्माण 12वीं शताब्दी में राजा भोज ने करवाया था। ऊंचाई पर बने इस किले का आकार त्रिकोण सा है। यह किला यादवों, बहिमनी, आदिलशाही के अधीन रहा और बाद में इस किले को शिवाजी ने अपना मुख्यालय बना लिया था।
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सिंधुदुर्ग: मुंबई से 400 किलोमीटर दूर समुद्र के बीच में बना यह किला शिवाजी ने 1664 से 1667 के बीच बनवाया था। अपनी खूबसूरती की वजह से यह पर्यटकों को आज भी आकर्षित करता है। कर्टे द्वीप पर बने इस किले को 100 पुर्तगाली वास्तुविज्ञों से बनवाया गया था।
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गोलकोंडा किला: यह किला आंध्रप्रदेश की राजधानी हैदराबाद से तकरीबन 11 किलोमीटर दूर है। इस किले का निर्माण काकतिया राजाओं ने करवाया था। इस किले की भव्यता और सुंदर संरचना देखते ही बनती है। इसे किले को हैदराबाद के सात आश्चर्यों में से एक माना जाता है।
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कांगड़ा किला: यह किला हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा घाटी में स्थित है। इस किले का निर्माण कांगड़ा के शाही परिवार ने कराया था। यह किला दुनिया के सबसे पुराने किलों में से एक है जबकि यह भारत का सबसे पुराना किला है। इसी किले के भीतर व्रजेश्वरी मंदिर है।
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मेहरानगढ़ का किला: राजस्थान के जोधपुर में स्थित यह किला राज्य् के सबसे बड़े किलों में से एक है। यह एक पथरीली पहाड़ी पर जमीन से 125 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। इस किले का निर्माण राव जोधा ने 14वीं शताब्दीन में करवाया था। भारत के समृद्धशाली अतीत के दर्शन इसी किले में होते हैं।
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सोनार का किला: राजस्थान के जैसलमेर में स्थित इस किले पर जैसे ही सुबह सूरज की किरणें पड़ती हैं, यह सोने की तरह दमकता है, इसलिए इसे सोनार का किला कहते हैं। वैसे रेगिस्तान के बीच में स्थित होने से इसे रेगिस्तान का दुर्ग भी कहा जाता है। यह दुनिया के बड़े किलों में से एक है। इसमें चारों ओर 99 गढ़ बने हुए हैं। अपनी बेजोड़ स्थापत्य कला, शिल्प और नक्काशी के चलते देश के सभी किलों में यह अपना अहम स्थान रखता है।
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ग्वालियर का किला: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित इस किले का निर्माण राणा मानसिंह तोमर ने करवाया था। यह उत्तर और मध्य भारत के सर्वाधिक सुरक्षित किलों में से एक है। सुंदर स्थापत्य कला, दीवारों और प्राचीरों पर बेहतरीन नक्काशी,रंग रोंगन और शिल्प के कारण यह किला बेहद खूबसूरत दिखाई देता है।
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चित्तौड़गढ़ का किला:राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में स्थित यह किला 700 एकड़ में फैला हुआ है। यह किला भारत के राजपूतों का गौरव रहा है। यहां से कई राजपूत राजाओं ने मुगलों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। जमीन से 500 फुट की ऊंची पहाड़ी पर बना यह किला बेराच नदी के किनारे स्थित है। 7वीं सदी से 16वीं सदी तक यह राजपूत वंश का महत्वतपूर्ण गढ़ हुआ करता था।
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लाल किला: दिल्ली का लालकिला एक विश्व प्रसिद्ध किला है। इसका निर्माण तोमर राजा अनंगपाल ने 1060 में करवाया था। बाद में पृथ्वीराज चौहान ने इसे फिर से बनवाया और शाहजहां ने इसे तुर्क शैली में ढलवाया। लाल बलुआ पत्थरों और प्राचीर के कारण इसे लाल किला कहा जाता है। भारत के लिए यह किला ऐतिहासिक महत्व रखता है। भारत के प्रधानमंत्री लालकिले की प्राचीर पर ही 15 अगस्ति को तिरंगा फहराते हैं।
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आगरा का किला: उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थित इस किले को यूनेस्को ने विश्व धरोहर में शामिल किया है। पहले यह किला राजपूत राजा पृथ्वीराज चौहान के पास था, जिस पर बाद में महमूद गजनवी ने कब्जा कर लिया। इसी किले में भारत के मुगल शासक, बाबर, हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब रहा करते थे और भारत पर शासन किया करते थे। अपने वास्तुशिल्प, नक्काशी और सुंदर रंग-रोगन के साथ इसकी भव्यता ने इसे देश के सभी किलों में से सबसे बेहतरीन बनाया है। इसका निर्माण मुगल बादशाह अकबर ने 1565 में करवाया था। इस किले को कभी-कभी लाल किला भी कहा जाता है। न सिर्फ लाल रंग, बल्कि दिल्ली स्थित लाल किले से इसकी वास्तुशिल्प शैली और डिजाइन भी काफी मिलती है। दोनों ही किले का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है। यही कारण है कि जब पर्यटक आगरा के किले को देखते हैं, तो उन्हें दिल्ली का लाल किला याद आ जाता है।