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हिसाब

27 अप्रैल 2016

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होशियार हुआ जाये 
कि बढ़ रही है अब इनमें 
आँखें तरेरने की हिम्मत 
सर उठाने की जुर्रत 
छनछनाकर झुंझलाने की हिमाकत 
या पैर पटककर चल देने की प्रयास 
नहीं है ये कोई छोटा-मोटा अपराध 
समय रहते किया जाए इलाज 
कि इतनी ढील का तो है ये नतीजा 
वरना कहाँ थी मजाल इन नमक-हरामों की
हमारे टुकड़ों पर पलते हैं 
और देखो तो पढ़-लिखकर इनके बच्चे 
छूते नहीं पाँव बल्कि बढाते हाथ मिलाने के लिए

होशियार हुआ जाए 
अब अकेले नहीं ये
देखो इनके साथ खड़े हैं जाने कितने 
नंगे, भूखे, बेकार, लाचार 
इनके आर्तनाद, समवेत हाहाकार 
दमन, मुठभेड़, गोलियां, 
क़ानून और कारागार के अलावा 
इन्हें परास्त करने के लिए 
क्या और नहीं ईजाद किये औज़ार?

होशियार हुआ जाए 
कि जवाब मांग रही है कतारें 
एक दिन में नहीं बने हैं सवाल 
पलक झपकते नहीं सुलझेंगे ये बवाल 
कि जवाब मांग रही हैं कतारें 
जो यकीनन अब भीड़ नहीं हैं 
बल्कि एक प्रशिक्षित कतार हैं 
जो एक बात पर सहमत हैं 
कि इस तरह लगकर, मिलकर 
खोज लेंगे जवाब 
पा लेंगे सदियों की प्रताड़ना का हिसाब...

ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

बहुत ही बढ़िया ! शानदार !

28 अप्रैल 2016

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हिसाब

27 अप्रैल 2016
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होशियार हुआ जाये कि बढ़ रही है अब इनमें आँखें तरेरने की हिम्मत सर उठाने की जुर्रत छनछनाकर झुंझलाने की हिमाकत या पैर पटककर चल देने की प्रयास नहीं है ये कोई छोटा-मोटा अपराध समय रहते किया जाए इलाज कि इतनी ढील का तो है ये नतीजा वरना कहाँ थी मजाल इन नमक-हरामों कीहमारे टुकड़ो

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हज़रत बाबाजी

29 अप्रैल 2016
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ये कौन है...

24 मई 2016
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