नई दिल्ली : मध्य प्रदेश के एसपी गौरव तिवारी 500 करोड़ रुपए के हवाला कारोबार का पर्दाफाश कर कर पॅापुलर हो गए हैं. अपनी दिलेरी से सभी का दिल जीतने वाला इस IPS का जब कटनी से ट्रांसफर के ऑर्डर आए तो आम जनता विरोध में सड़क पर उतर आई. ये तेजतरार अफसर बनारस के तिवारीपुर गांव से ताल्लुक रखते हैं.
नक्सलियों से जुड़े सीक्रेट मिशन पर जाने का ऑर्डर आ गया...
पुलिस की नौकरी के लिए भले ही दूसरे स्टेट चले गए है, लेकिन उनके माता- पिता आज भी तिवारीपुर में ही हैं. मां सरिता तिवारी ने बताया , मई 2015 की बात है तब गौरव की पोस्टिंग बालाघाट थी. मेरी बहू आभा प्रेग्नेंट थी. उसे डिलीवरी के लिए हॉस्पिटल में एडमिट करवाया था." मां ने कहा गौरव के पास नक्सलियों से जुड़े एक सीक्रेट मिशन पर जाने के ऑर्डर्स थे. वो रात में निकलने ही वाला था कि तभी मेरी बहू को लेबर पेन शुरू हो गया. तुरंत डॉक्टरों ने उसका इमरजेंसी सिजेरियन ऑपरेशन किया. आभा ने रात 12 बजे मेरी पोती को जन्म दिया।गौरव अपनी बेटी को गोद में लेकर भावुक हो गया था। एक तरफ उसे ड्यूटी पर जाना था और दूसरी तरफ हाथ में नवजात बेटी थी". गौरव ने मुझसे कहा - बेटी को देखकर जा रहा हूं. बड़ा मिशन है, पूरा करके ही लौटूंगा." अरुण तिवारी ने बताया कि तब गौरव ने 2 दिन बाद फोन करके गुड न्यूज सुनाई, उसने 35 लाख रुपए के इनामी नक्सली दिलीप गुहा को अरेस्ट कर लिया था. वो 19 मर्डर्स का आरोपी था, जिसे सिर्फ एमपी ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की पुलिस भी ढूंढ रही थी.
आज भी मां को स्टेशन छोड़ने आता है तो रोने लगता है
मां सरिता ने बताया कि गौरव आज भी अपने पिताजी के सामने नहीं बैठता . हमेसा आदर से खड़ा रहता हैं. वह काफी जज्बाती व्यक्ति हैं. उसका सीना हनुमान की तरह हैं और जनता सीने में रहती है. आज भी वो मुझे स्टेशन छोड़ने आता है तो इमोशनल हो जाता है और रोने लगता है.
आज भी नहीं बैठता पिता के सामने
पिता अरुण तिवारी ने बताया, "दिल्ली में पीएससी की तैयारी के दौरान वो महज 7000 रुपए बतौर जेब खर्च लेता था. दिल्ली जैसे शहर में वो 2600 रुपए टिफिन और 3000 रुपए में किराए पर खर्च करता था. बचे हुए 1400 रुपए में हीं वो अपने स्टडी मटेरियल और अन्य जरुर सामन जुटाया था.