नई दिल्ली: अगली बार जब आप किसी रेस्त्राँ या ख़रीदारी के लिए जाएं तो बिल की तारीख़ पर ज़रूर ध्यान दीजिये। अगर आपने बिल की तारीख़ पर ध्यान नहीं दिया तो मुमक़िन है कि रिटेलर आपसे नई करेंसी लेकर काले धन को सफेद करने का धंदधा कर रहा हो। कई शहरों में ऐसे मामले ब सुबूत सामने आए हैं। जहां बड़े दुकानदारों ने डेबिट मशीन होने के बावजूद कार्ड से पैसा नहीं लिया और कैश पैसे लेने पर ही ज़ोर दिया। मिसाल के तौर पर बैंगलोर में एक युवक जब होटल एटिगास में स्नेक्स की डिलेवरी लेने गया तो सूसे पहले उसे डेबिट कार्ड से पेमेंट के लिए इनकार कर दिया गया। मजबूरन मिधुन नोबल ने बड़ी मेहनत से लाई गई नई करेंसी रेस्त्राँ के कैशियर को दे दिये और खाने की डिलेवरी लेकर मिधुन नोबल घर पहुंचा तो उसने देखा बिल पर 13 नवंबर की बजाय 1 नवंबर लिखा था।
जब आगे की जांच की गई तो यह मालूम हुआ कि कई और रेस्त्रां नई करेंसी को लेकर पुरानी करेंसी लोगों को दे रहे थे। दरअसल दुकानदारों के इस सारे खेल के पीछे पुराने नोटों को नए नोटों को पुरानो नोटों से बदलने का धंधा यानी काले पैसे को सफेद करने का यह नायाब तरीका बनाया गया। दुकानदार जब अपना तिमाही सर्विस टेक्स वेट भरेंगे तो वो बेक डेट में बिक्री दिखाकर पुराने नोट आसानी से बदल सकेंगे। इस तरह से उन्होनें कालेधन को सफेद करने का नायाब तरीका ढूंढ निकाला है।
Income Tax विभाग के कर्मचारियों से जब इंडिया संवाद ने बातचीत की तो उन्होनें कहा कि वो बिल की पूरी जांच करेंगे और अगर कहीं कुछ गड़बड़झाला पाया गया तो एडीगास रेस्त्रां के ख़िलाफ़ कड़ी कार्यवाई ज़रूर की जाएगी।