घनाक्षरी छंद
एक लाख सैनिकों को, हमने लौटाया किंतु,
अपने ही सैनिकों को, लाना क्यों भूल गए।
किया था विभक्त रक्त, सींच के पड़ोसी को तो,
पी ओ के को अपना, बनाना क्यों भूल गए।।
कालिया से नाग को भी, नेह दिखलाके आप,
चंगुल में पाके भी , नचाना क्यों भूल गए।।
समझौते वादी नीति , आज बनी है अनीति,
उनको जहान से , उठाना क्यों भूल गए।।
रचनाकार ✍️
भरत सिंह रावत
भोपाल मध्यप्रदेश