राधा अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं सहित।
राधा
चोरी करे बरजोरी करे, ऐंसे चोर का चैन चुरा गई राधा।
प्रेम करो तो डरो न कोई, यह प्रेम का पाठ पढ़ा गई राधा।।
शोक में आंसू भी रोक लिए, किया वादा तो वादा निभा गई राधा।
मनमोहन का मन मोह लिया,मनमोहन के मन भा गई राधा।।
श्याम सलोने से नंद के छोने से, दोने में माखन खा गई राधा।
फूल सी देह से नेह नहीं, तज गेह सनेह निभा गई राधा।।
प्रेम दिवानी थी, एक न मानी थी, ज्ञानी को ज्ञान सिखा गई राधा।
श्याम के धाम में नाम हुआ, बृजधाम की रानी कहा गई राधा।।
आज पुनीत लली जन्मी, ब्रजधाम तमाम पे छा गई राधा।
राधा की अष्टमी आज पुनीत है, गीत की रीत निभा गई राधा।।
कान्हा जिसे भजता ही रहा,वह आज धरा पर आ गई राधा।
गुर्जर के कुल जन्म लिया, ब्रषभानु सुता कहला गई राधा।।
रचनाकार ✍️
भरत सिंह रावत भोपाल