मर्यादा
मर्यादा
मर्यादा का पालन करना, सबको बहुत जरूरी है।
संस्कार से हीन पुरुष की, मर्यादा से दूरी है।।
मर्यादा के वाहक दुनिया में, अपने श्री राम बने।
दुराचारियों को मारा , जो दुनिया को सुखधाम बने।।
मर्यादा लक्ष्मण ने की, सीता का मुख भी ना देखा।
इसीलिए विख्यात हुई है, दुनिया में लक्ष्मण रेखा।।
मर्यादा बचनों की रख कर, हरिश्चंद्र ने त्याग किया।
बिके डोम घर लेकिन फिर भी, नहीं कोई अनुराग किया।।
मर्यादा जिसने भी छोड़ी, उसके कुल का नाश हुआ।
दशकंधर जैसा बलशाली, मर्यादा का ग्रास हुआ।।
मर्यादा के पालन से , पहचान अनोखी होती है।
मर्यादा ही संस्कार के, मन में भाव पिरोती है।।
मर्यादा इंसान भुला कर, दानव जैसे काम करे।
कालनेमि सा भेष बदलकर, संस्कृति को बदनाम करे।।
मर्यादा जब तक कायम है, धर्म सनातन चमकेगा।
रावत कलम उठा मर्यादित, दिनकर जैसा दमकेगा।।
रचनाकार ✍️
भरत सिंह रावत
भोपाल मध्यप्रदेश