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मात पिता के दोहे

6 सितम्बर 2021

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दोहा

सब कुछ हासिल कर सको, यार दोबारा आप।

लेकिन फिर से ना मिलें, दूजे मां और बाप।।


मात पिता का  कीजिए, हर दम यारो मान।

दुनिया में इनसे बड़े, नहीं कोई भगवान।।


मात पिता की है कृपा, तुम ने पाया ठौर।

वृद्धावस्था में करो, इन पर पूरा गौर।।


मां ने मैला धो तुम्हें, रखा हमेशा साफ।

वह मां गंदे में रहे, यह कैसा इंसाफ।।


भूखी रह कर भी तुम्हें, दिया भोज भरपूर।

उस माता को कर रहे, क्यों अपने से दूर।।


दिन भर थक कर भी पिता, तुमसे करता नेह।

आज उसी को कर रहे, क्यों तुम दूभर गेह।।


माता की इज्जत नहीं, पत्नी को दो मान।

क्षमा कभी कर पाएगा, क्या तुमको भगवान।।


मर मर कर तुमको दिया, उन ने जीवन दान।

ऐंसे मां और बाप का ,नहीं तुम्हें क्यों ध्यान।।


टूटी चप्पल पांव में, तुम्हें दिलाता बूंट।

पापा की धोती फटी, तुम्हें दिलाया सूट।।


तुमको जो करते रहे, अपने सुख का त्याग।

अंतिम पल में चाहते, तुमसे केबल आग।।


रावत मां पापा तुम्हें, देते हैं धन धान।

इनको रोटी पेट भर, और दीजिए मान।।


रचनाकार

भरत सिंह रावत भोपाल

7999473420

9993685955



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