भवानी तेरे रूप की उतारते हैं आरती।
हे आदिशक्ति कालिका, भवानी मातु भारती।।
कुचक्र चक्र को मिटाती, तू समय की चालिका।
दुरात्मा का खात्मा, तू करती न्याय पालिका।।
प्रचंड रूप धर जरा तू, आज मातु कालिका।
निशाचरों से ग्रस्त है, हर एक आज बालिका।।
सुमन सजाए हाथ में, हृदय में ज्योती बारती।
हे आदिशक्ति कालिका, भवानी मातु भारती।।
मां कर कृपा तू देश में, हों नीतियां सभी सही।
कुरीतियों से ग्रस्त ना हो, आज भारती मही।।
यहाँ पे दानवों की नित्य धूर्त सोच बढ़ रही।
जो वासना की भेंट आज रोज बेटी चढ़ रही।।
करुण पुकार आज मातु, क्यो भला है हारती।
हे आदिशक्ति कालिका, भवानी मातु भारती।।
हे आदिशक्ति दुष्ट आत्माओं पे तू बार कर।
विकार से भरे विवेक का तु अब संहार कर।।
निशाचरों का नाश कर,गले में मुंड धार कर।
हे कालिका भवानी, बेटियों को रख संवार कर।।
ललक भरी निगाह से हैं, बेटियां निहारतीं।
हे आदिशक्ति कालिका भवानी मातु भारती।।
रचनाकार ✍️
भरत सिंह रावत भोपाल