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मर गया

11 सितम्बर 2021

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गज़ल

सबके   हक   में   बना ,  रोशनी  मर  गया।

एक      मासूम     सा  ,  आदमी   मर  गया।।

जब    दरिंदों   ने  लूटी  थी ,      मासूम  को।

अपनी   आँखों   में  भर  कर,  नमी मर गया।‌।

कर्जदारी     ने    जब   ,   तोड़  डाला  उसे।

बेचकर   वो    बेचारा ,      जमीं  मर  गया।।

सह   नहीं  पाया  जब ,     झूठे  इल्जाम  वो।

एक    खुद्दार    कर     ,    खुदकसी मर गया।।

गमज़दा    ने     कभी ,  गम  कहा  ही  नहीं।

अपने   मासूक   को  दे , खुशी   मर   गया।।

इस   तरहां   से   जगी  ,   उसकी   इँसानियत।

आदमी    बन    गया   ,    मज़हबी  मर  गया।।

एक   भवरा   तो   रावत ,   किसी    बाग    में।

फूल   की     देख    कर   ,   ताजगी   मर  गया।।

रचनाकार ✍️

भरत सिंह रावत

भोपाल मध्यप्रदेश


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बहुत खूब 👌👌👌👌 हकीकत को बयां करती रचना 👍

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