नई दिल्ली: देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की इमानदारी और सादगी के बारे में तो आपने सुना ही होगा. आज हम आपको बताने जा रहे हैं देश के दूसरे शास्त्री जी के बारे में. जो बिहार में मुख्यमंत्री रहे लेकिन सत्ता में रहते हुए एक रुपया नहीं छुआ. आज इस इमानदारी का इनाम उनके परिवार को मिल रहा है. इस दलित मुख्यमंत्री के परिवार वाले मनरेगा में मजदूरी करने को मजबूर हैं.
तीन बार रह चुके हैं बिहार के मुख्यमंत्री
भोला पासवान शास्त्री बिहार में कांग्रेस के कद्दावर नेता थे. उन्हें तीन बार बिहार में सीएम बनने का मौका मिला. पहली बार वो 22 मार्च 1968 को 100 दिनों के लिए सीएम बने थे. दूसरी बार उन्हे 22 जून 1969 में दोबार से बिहार की सत्ता हासिल हुआ लेकिन इस बार उनकी सरकार महज 13 दिनों में ही गिर गई. आखरी बार उन्होंने 2 जून 1971 को सीएम पद पर काबिज हुए और इस बार 222 दिनों तक उन्होंने बिहार में सरकार चलाई.
श्राद्ध के लिए भी नहीं था पैसा
भोला पासवान शास्त्री जी की जब मौत हुई तो उनके खाते में इतना भी पैसा नहीं था कि उनका श्राद्ध क्रम हो सके. लोगों को ये देख हैरानी हुई की जो तीन बार बिहार का सीएम रहा. जिसे इंदिरा गांधी ने दो बार केंद्र में मंत्री बनाया तो उनके पास इतने भी पैसे नहीं है कि उनका अंतिन संस्कार हो सके.
गरिबी में जी रहा है परिवार
भोला पासवान शास्त्री का परिवार पूर्णिया जिले के काझा कोठी के पास बैरगाछी गांव में रहता है. शास्त्री जी के परिवार में अब 12 कुनबे हो चुके हैं. पूरे परिवार के पास महज 6 डिसमील जमीन है. परिवार की दरियादिली देखिए की उन्होंने सामुहिक भवन बनाने के लिए सरकार को अपनी जमीन मुफ्त में दे दी है. आफ को जान कर हैरानी होगी की शास्त्री जी का परिवार मनरेगा में मजदूरी करता है.