नई दिल्ली : भारत की आर्थिक नीतियों के सामने क्या पहली बार चीन भी खुद को असुरक्षित महसूस करने लगा है। यह सवाल इसलिए भी खड़ा हो रहा है क्योंकि चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने अपने लेख में चीन की सरकार से कहा है कि ''भारत जब अपने यहाँ निवेश बढ़ाने के लिए 'मेक इन इंडिया' जैसे कदम उठा रहा है तो ऐसे में चीन को भारत में अपने बढ़ते निवेश पर लगाम लगानी चाहिए''।
अख़बार का कहना है कि ''साल 2016 में चीन ने भारत में 2015 के मुकाबले 6 गुना ज्यादा निवेश किया है, जिसे अब संतुलित करने की जरूरत है। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि 'मेक इन इंडिया' स्कीम से भारत में स्वदेशी इंडस्ट्री विकसित हो रही है, रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं और इंपोर्ट पर निर्भरता कम हो रही है''।
अख़बार ने लिखा है ''भारत सरकार की ओर से ऐंटी-डंपिंग ड्यूटी शुरू किए जाने के चलते दूसरी देशों का विरोध भी बढ़ रहा है। उदाहरण के तौर पर पिछले साल वर्ल्ड ट्रे़ड ऑर्गनाइजेशन ने भी कहा था कि भारत की सोलर डोमेस्टिक कॉन्टेंट रिक्वाइरमेंट पॉलिसी ग्लोबल ट्रेडिंग के नियमों के अनुरूप नहीं है'। अख़बार ने कहा है कि बीजिग को दिल्ली पर मुक्त व्यापार के लिए दबाव डालना चाहिए''।
लेख में कहा गया है कि इसके बावजूद भी चीन की तमाम कंपनियां भारत में निवेश ले लिए आकर्षित हो रही हैं। इसलिए चीन की कंपनियों को अपने यहाँ के नियमों से अच्छी तरह से परिचित करवाना चाहिए और बाहरी निवेश पर रेगुलेशन लगाना चाहिए। गौरतलब है कि भारत में चीन की कई कंपनियां बढ़चढ़ निवेश कर रही हैं।
भारत में अलीबाबा के ही निवेश को देख लीजिये
चीन की कंपनी अलीबाबा मोबाइल बिजनेस ग्रुप की इंटरनेट ब्राउजर कंपनी यूसीवेब की योजना अगले दो साल के दौरान भारत में 200 करोड़ रुपए निवेश करने की है। अलीबाबा ने ऑनलाइन रिटेल मार्केटप्लेस पेटीएम में 1,350 करोड़ से 1,700 करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट किया है।