अगर हम भारत की जनसँख्या को ओलंपिक्स में जीते हुये पदको से तुलना करे तो पूरी दुनिया में भारत से बुरा प्रदर्शन करने वाला कोई दूसरा देश नहीं है. ये सुनकर थोड़ा अजीब लगता है की 1. 2 अरब लोगो का देश खेलो में औसतन एक पदक से भी कम जीत पाया है| एक स्वर्ण एवम 2 कांस्य पदको के साथ बीज़िंग 2008 का ओलिंपिक
वर्ष 1947 में अखण्ड भारत के विभाजन के बाद जब स्वतंत्र भारत का उदय हुआ, तत्समय कश्मीरी पण्डित पं. नेहरू की गहन राजनैतिक भूल (समय पूर्व काश्मीर मुद्दे को सयुक्त राष्ट्र संघ में ले जाने) का परिणाम ही हैं कि आज 13297 किलोमीटर में फैला व चार करोड़ जनसंख्या वाला भू भाग नासूर बनकर कश्मीर ‘‘(प
देश हमारा बदल रहा हैदेश हमारा बदल रहा हैधीरे धीरे संभल रहा है दुनिया में खुद को साबित करने कोयुवा हदृय फिर मचल रहा है।।गॅाव -गाॅव और शहर -शहर में परिवर्तन का दौर चला हैंऐसा लगता है मानोदेश हमारा दौड़ पडा है।।नये अन्वेषण,नये लक्ष्य सेप्रतिपल भारत बदल रहा हैउन्नत तकनीको के प्रयोग सेकृषि जगत भी संभल रहा