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रिश्तों की बुनियाद ( तीसरी क़िश्त )

19 मार्च 2022

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( रिश्तों की बुनियाद )  तीसरी क़िश्त 

दो कि.मी. चलने के बाद एकदम सुनसान जगह आ गया । एक पंडे  ने कहा कि बस यहाँ हमें पूजा अर्चना करनी है । फिर दरी बिछा कर उन दोनों को बैठने को कहा और एक लोटा पकड़ कर गंगा जी का पानी लाने चला गया । दूसरे पंडा अपने झोले से पूजा के सामान निकालने लगा । कुछ मिन्टों के बाद पहला पंडा आता दिखा लोटे में गंगा जल लिये हुए । उस वक्त विनोद और उसकी पत्नी दूसरे पंडे के आदेशानुसार आंखें मूंदे किसी मंत्र का जाप कर रहे थे । नजदीक आते ही पंडे ने लोटा को विनोद के सिर पर पूरी ताक़त से दे मारा । मार पड़ते ही विनोद बेहोश हो गया । ये देख तेजस्वनी डर गई और पूरब दिशा की ओर भागने लगी । वहां से 500 मिटर दूर उसे एक झोपड़ी दिखाई दे रही थी । वह वहां जल्द से जल्द पहुंच जाना चाहती थी ताकी वहां कोई हो तो उसे मदद मिल सके । पर आधे रास्ते में ही उसे दोनों पंडों ने मिलकर पकड़ लिया और उसके शरीर के गहने एक एक करके उतारने लगे । इस बीच तेजस्वनी अपनी पूरी ताकत से उनका विरोध करती रही , कुछ देर के विरोध के बाद वह उनकी पकड़ से अचानक छूट गई तो वह तेज़ी से गंगा के किनारे की ओर दौड़ने लगी गंगा के किनारे पहुंचने के बाद पता नहीं उसके मन में क्या ख्याल आया कि आंखें मूंद कर गंगा में कूद गई । थोड़ी देर तक तो वह पानी में उल्टे सीधे हाथ मारती रही पर उसके बाद उसका दिमाग सुन्न होने लगा और वह बेहोश हो गई । इस घटनाक्रम को देखकर दोनों पंडे वहां से रफूचक्कर हो गये । तेजस्वनी को जब होश आया तो उसने खुद को एक कुटिया में पाया । इतने में ही उसे कुटिया के बाहर खड़खड़ाहट की आवाज आई , आंखें उस तरफ घुमायी तो सामने एक बुजुर्ग महिला को खड़े पाया वो एक साध्वी थी। साध्वी ने बताया कि जिस समय तुम गंगा में डूब रहे । उस वक्त मेरे पति वहां पानी लेने गये थे । उनकी नजर जब तुम पर पड़ी तो नदी में कूद कर तुम्हें बाहर खींच लाये । तुम 2 घंटों से बेहोश थी । कुछ पत्तियों का काढ़ा मला तो तुम्हारे शरीर में कुछ गर्मी भी आई और हलचल भी हुई और तुम होश में आ गये ।  जब तुम्हें नदी से निकाल कर वे ला रहे थे तब तुम्हारे मुंह से आवाज आ रही थी मेरे पति , मेरे पति । तुम्हें यहां लिटाने के बाद हम लोग एक तरफ गये तो लगभग 5 सौ मीटर दूर एक आदमी बेहोश पड़ा मिला । उसके सिर से खून निकल रहा था । संभवतः वह तुम्हारा पति था , ऐसी स्थिति देख उस व्यक्ति को नैनी के सरकारी अस्पताल लेकर गये तो वहां डाक्टरों ने बताया कि इनके सिर की चोट घातक है उनका  तत्काल आपरेशन करना पड़ेगा अन्यथा मरीज़ का बचना मुश्किल है । उनका आपरेशन हो गया है और अब वे खतरे से बाहर हैं ।
 उधर चेतन जी ने अपनी धुंधली नजरों से आभा को गिरते देखा तो उस ओर चल पड़े । वह लगभग बेहोश थी । उन्होंने उनके सिर को हिलाया पर आभा के शरीर में कोई हलचल नहीं हुई तो अपने झोले से कुछ जड़ी बूटी  निकाल कर आभा के नाक के पास रख दिया , 5 मिनटों में ही आभा होश में आ गई और होश में आते ही अपने बच्चे को याद कर रोने लगी और कहने लगी आखिर मेरा बच्चा कहां चला गया ?  तब चेतन जी ने उसे ढाढस बंधाते हुए कहे भगवान सब पर नज़र रखता है । सबकी रक्षा करता है । तुम्हारा बच्चा किसी सुरक्षित हाथों में ही होगा । चलो मेरे साथ पहले तुम्हारे घर चलते हैं फिर वहां से तुम्हारे परिजनों के साथ पोलिस स्टेशन जाकर रिपोर्ट लिखायेंगे । आभा रोते रोते उठी और चेतन जी का हाथ पकड़ कर पश्चिम दिशा की ओर चलने लगी ।  वहाँ  कुछ टेम्पो वाले खड़े थे । एक टेम्पो वाले से मोल भाव कर वे दोनों उसमें बैठ गये । फिर उनकी टेम्पो चल पड़ी नेहरूनगर की ओर आभा के घर की ओर ।

 उधर अजय उस बच्चे को उठाये पूरब दिशा की चल रहा था । बच्चा बार बार मां मां कह कर रो रही थी । जब अजय बच्चे को लिये टेम्पो स्टैन्ड के पास पहुंचा तो वहां खड़े पोलिस वाले ने उसे पकड़ लिया और पूछने लगा कि ये बच्चा कौन है और क्यूं रो रहा है ? ये तुम्हें नहीं पहचानता तो आखिर तुम्हारे हाथो आया कैसे ? इतना कहते कहते उस पोलिस वाले ने  अजय और बच्चे को लेकर पास ही स्थित पोलिस स्टेशन में ले जाकर बिठा दिया और अजय से कुछ और जानने का प्रयास करने लगे । उन्होंने अजय को अपराधी मानकर उसे थाने में रोक लिया । अजय बच्चे को गोद में लिये वहीं बेंच पर बैठ गया । 
आभा और चेतन जब नेहरू नगर स्थित आभा के घर पहुंचे तो आभा के माता पिता घर के बाहर ही परेशान से खड़े थे  । उन दोनों ने जैसे ही आभा को देखा उनके चेहरे खिल गये । आभा के साथ एक दाढ़ी वाले बुज़ुर्ग को देख उन्हें आश्चर्य भी हुआ और संदेह भी । उन्होंने आभा से पूछा ये कौन है ? जवाब देने के बदले आभा रोने लगी और रोते हुए  बताना प्रारंभ किया कि हमारे उपर मुश्किलों का पहाड़ टूट पड़ा है । बाबा जी ने ही मुझे बचाया है, वरना भगवान जाने मेरा क्या होता ? पर मेरा बच्चा अनुज का पता नहीं चल रहा है । वो गुम है ।  तब उन्होंने निर्णय लिया की पोलिस स्टेशन में कंप्लेन लिखाया जाय।  आभा , चेतन व आभा के माता पिता घर आ गये और उनके रिश्तेदार अपने लेवल से बच्चे को ढूंढने के कार्य में जुट गये । इस बीच चेतन व प्रदीप जी के बीच बच्चे के गुम हो जाने संबंधित ही बातें हो रही थी । इतने में प्रदीप जी ने देखा कि चेतन जी के चेहरे पे दाढी  के भीतर से कुछ बूंद खून टपक कर जमीन पर गिरा । तब वे चौंक गये और चेतन जी से पूछने लगे । चेतन जी आपको कोई विशेष चोट तो नहीं लगी । तब चेतन जी ने याद करते हुए कहा कि हाँ मुझ पर उन चार गुंडों में से एक ने लोहे की चैन से वार किया  था  तब प्रदीप जी ने कहा ठीक है नाश्ता चाय कर लें उसके बाद आपको पास ही स्थित डॉ . गुप्ता के पास ले चलूंगा ।  इतने में आभा चाय नाश्ता लेकर आ गई ।  चाय ख़त्म करने के बाद प्रदीप जी ने आभा को बताते हुए कहा कि इं बुजुर्ग को मैं  इलाज कराने डा गुप्ता की क्लिनिक ले जा रहा हूँ।

( क्रमशः )
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रचनाएँ
रिश्तों की बुनियाद कहानी
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सिरसा मे रहने वाले एक परिवार के पति पत्नी के बीच दरी ऐसी बढती है की पत्नी ससुराल को त्याग कर अपने मायके इलाहाबाद चली जाती है। बाद मे उनका मिलन कुछ विचित्र परिस्थितियों में होता हा।
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