shabd-logo

ईश्वर की संतानें

1 सितम्बर 2015

181 बार देखा गया 181
वे बच्चे किसके बच्चे हैं नाम क्या है उनका कौन हैं इनके माँ बाप कहाँ से आते हैं इतने सारे झुण्ड के झुण्ड, उन तमाम सरकारी योजनाओ के बावजूद जो अखबारों और टीवी के चमकदार विज्ञापनों में कर रही हैं हमारे जीवन का कायाकल्प, कालिख और चीथड़ो के ढकी बहती नाक और चमकती आँखों वाली जिजीविषा की ये अधनंगी मूर्तियाँ जो बिखरी हुयी हैं चमचमाते माल्स से लेकर गंधाते रेलवे प्लेटफार्म्स तक, बदनाम गलियों की तंग चौखटों से भगवान के घरों की चौड़ी दालानों तक, अभिशप्त बचपन में ही बूढ़े हो जाने को, अनवरत संघर्षरत ढूढ़ रही जीवन कूड़े के ढेर में किसी लापरवाह ईश्वर की अनचाही संताने, हमारी नपुंसक संवेदना के गवाह क्या ये भी बच्चे हैं इंडिया के जो कि भारत है.

श्री बिलास सिंह की अन्य किताबें

ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

उत्कृष्ट रचना !

14 सितम्बर 2015

2
रचनाएँ
kavitavarta
0.0
अनुभूति और अभिव्यक्ति की यात्रा कथा…………
1

ईश्वर की संतानें

1 सितम्बर 2015
0
4
1

वे बच्चे किसके बच्चे हैंनाम क्या है उनकाकौन हैं इनके माँ बाप कहाँ से आते हैं इतने सारेझुण्ड के झुण्ड, उन तमाम सरकारी योजनाओ के बावजूद जो अखबारों और टीवी के चमकदार विज्ञापनों में कर रही हैं हमारे जीवन का कायाकल्प, कालिख और चीथड़ो के ढकी बहती नाक और चमकती आँखों वालीजिजीविषा की ये अधनंगी मूर्तियाँजो बि

2

कौए

27 सितम्बर 2015
0
2
2

सुना हैविलुप्त हो रहें है।क्या सच ?पर क्या रमेसर की माँअब नहीं उड़ाएगीमुंडेर से कौए?पति के शहर सेलौटने की प्रत्याशा में।क्या अबझूठ बोलने परकाला कौआ नहीं काटेगाअबनहीं पढेंगे बच्चे'क' से कौआ।कहानी सुनाती नानीकैसे समझायेगीउन्हें किक्या होता है मतलबरानी से कौआ-हंकनीबन जाने का।जब दिखेंगे ही नहींकौएकौन लेग

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए