मेरे शहर ने जब तेरे कदम छुए
सितारों की मुठियाँ भरकर
आसमान ने निछावर कर दीं।।
दिल के घाट पर मेला जुड़ा ,
ज्यूँ रातें रेशम की परियां
पाँत बाँध कर आई।।
जब मैं तेरा गीत लिखने लगी
काग़ज़ के ऊपर उभर आईं
केसर की लकीरें।।
सूरज ने आज मेहंदी घोली
हथेलियों पर रंग गई,
हमारी दोनों की तकदीरें।।