जीवन-बाला ने कल रात,
सपने का एक निवाला तोड़ा।
जाने यह खबर किस तरह,
आसमान के कानों तक जा पहुँची।।
बड़े पंखों ने यह ख़बर सुनी,
लंबी चोंचों ने यह ख़बर सुनी,
तेज़ ज़बानों ने यह ख़बर सुनी।
तीखे नाखूनों ने यह खबर सुनी।।
इस निवाले का बदन नंगा,
खुशबू की ओढ़नी फटी हुई।।
मन की ओट नहीं मिली,
तन की ओट नहीं मिली।।
एक झपट्टे में निवाला छिन गया,
दोनों हाथ ज़ख्मी हो गये।
गालों पर ख़राशें आयीं,
होंटों पर नाखूनों के निशान।।
मुँह में निवालों की जगह,
निवाले की बाते रह गयीं।
और आसमान में काली रातें,
चीलों की तरह उड़ने लगीं।।