जलियांवाला बाग हत्याकांड भारत की आजादी के इतिहास की वो घटना है, जिसके बारे में सोचने पर भी रूह कांप जाती है. 13 अप्रैल 1919 को ये दुखद घटना घटी थी, जब पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित जलियांवाला बाग में निहत्थे मासूमों पर गोलिया चलाई गई ।
जलियांवाला बाग हत्याकांड क्यों हुआ था ? इतिहास जलियांवाला बाग नरसंहार का सबसे बड़ा कारण रोलेट एक्ट था, जिसे 1919 में ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में उभरते राष्ट्रीय जन आंदोलन को कुचलने के उद्देश्य से लागू किया गया था. रॉलेट एक्ट को जलियांवाला बाग की घटना से करीब एक महीने पहले 8 मार्च को ब्रिटिश हकूमत ने पास किया था।
बिना किसी चेतावनी के, अमृतसर क्षेत्र के ब्रिटिश अधिकारी, ब्रिगेडियर जनरल रेजिनाल्ड डायर ने पचास सशस्त्र सैनिकों के साथ जलियांवाला बाग में मार्च किया और उन्हें भीड़ पर गोलियां चलाने का आदेश दिया।
आज भी वहाँ की दिवारों पर गोलियों के निशान है। भारत के बीसवीं सदी की महत्वपूर्ण घटना थी।लगभग 400 लोग मारे गये थे और हजारो घायल हुए थे।
वो 26 दिसंबर का दिन था जब उधम सिंह लंदन में जनरल डायर को गोली मारकर अपनी वर्षों पुरानी प्रतिज्ञा पूरी की थी। उधम सिंह को डायर की हत्या के आरोप में 31 जुलाई 1940 को फांसी दे दी गई थी।
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