नई दिल्ली : हरियाणा में जाट आंदोलन के दौरान हुई हिंसा पर रिपोर्ट का दूसरा भाग तैयार करने से हरियाणा सरकार ने इनकार कर दिया है। सेवानिवृत्त आईपीएस प्रकाश सिंह की अध्यक्षता वाली कमेटी ने अपनी पहली रिपोर्ट में बताया था कि हरियाणा में जाट आंदोलन के दौरान कुछ पुलिस के अधिकारियों ने अनियमितताएं बरती। प्रकाश सिंह का कहना है कि वह जल्द ही दूसरी रिपोर्ट पर काम शुरू करने वाले थे जिसके लिए उन्होंने पुलिस अधिकारियों की मीटिंग भी बुलाई थी। प्रकाश सिंह ने कहा कि वह कुछ समय पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री से मिले थे और जब उन्होंने मुख्यमंत्री से दूसरी रिपोर्ट की बात की तो उन्होंने कहा कि मुझे कुछ दिन का इंतज़ार करना चाहिए।
लेकिन कुछ दिन बाद गृह मंत्रालय की ओर से पत्र मिला और कहा गया कि दूसरी रिपोर्ट की आवश्यकता नहीं है। सिंह का कहना है कि सरकार की ओर से उन्हें रिपोर्ट को बंद करने के पीछे कोई कारण नहीं बताया गया है लेकिन कारण यह भी सकता है कि नौकरशाही पुलिस पर अपनी पकड़ नहीं खोना चाहती है।
जाट आंदोलन के दौरान 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। साथ ही साथ सम्पति को भी भारी नुकसान पहुंचा था। प्रकाश सिंह का कहना है ''मेरी रिपोर्ट का पार्ट-2 समाप्त हो गया है। सरकार ने मुझे एक औपचारिक पत्र लिखकर इस बात के लिए धन्यवाद् दिया है कि मैंने पहली रिपोर्ट में सराहनीय कार्य किया है। साथ ही पत्र में यह भी लिखा गया है कि अब जाट आंदोलन के दौरान हुई हिंसा पर दूसरी रिपोर्ट की आवश्यकता नहीं है।
प्रकाश सिंह पैनल में मुख्य सचिव विजय वर्धन और केपी सिंह शामिल थे। केपी सिंह को अब हरियाणा का डीजीपी बनाया गया है। इस पैनल ने 3000 गवाहों के बयान दर्ज करवाये थे। पैनल ने पाया था कि जाट आन्दोलनक़ारियों ने 90 प्रतिशत घरों को आग के हवाले किया। पैनल की पहली रिपोर्ट के बाद कई पुलिस अधिकारियों के तबादले किये गए थे। डीजीपी यशपाल सिंह को हटाया गया था और कई पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया गया था।