गांधीवादी आये,
कांग्रेस मैन टेढ़े के;
देर तक, गांधीवाद क्या है, समझाते रहे ।
देश की भक्ती से,
निर्विरोध शक्ती से,
राज अपना होगा;
ज़मींदार, साहूकार अपने कहलाएंगे
शासन की सत्ता हिल जाएगी;
हिन्दू और मुसलमान
वैरभाव भूलकर जल्द गले लगेंगे,
जितने उत्पात हैं;
नौकरों के लिए हुए;
जब तक इनका कोई
एक आदमी भी होगा,
चूल नहीं बैठने की ।
इस प्रकार जब बघार चलती थी,
ज़मींदार का गोड़इत
दोनाली लिये हुए
एक खेत फ़ासले से
गोली चलाने लगा ।
भीड़ भगने लगी ।
कांसटेब्ल खड़ा हुआ ललकारता रहा ।
झींगुर ने कहा,
"चूंकि हम किसान-सभा के,
भाई जी के मददगार
ज़मींदार ने गोली चलवाई
पुलिस के हुक्म की तामीली की ।
ऐसा यह पेच है ।"