नई दिल्लीः रियो ओलंपिक में सौ मीटर बटरफ्लाई का जब नतीजा सामने आया तो दुनिया दंग रह गई। जिस माइकल फेलेप्स के गले में अमूमन हर इवेंट के बाद सोने का पदक लटका नजर आता था, आज चांदी नसीब हुई। वहीं कमाल की बात रही बगल खड़े उनके सिंगापुर के 21 वर्षीय शिष्य जोसेफ के गले में लटका गोल्ड मेडल चमक बिखेर रहा था। जी हां रियो ओलंपिक में सबसे अप्रत्याशित नतीजा सामने आया है। अमेरिका के जिस रिकॉर्डधारी तैराक माइकल फेलेप्स को दुनिया नहीं हरा पाई। इस शख्स ने जब तरणताल में डुबकी लगाई, तब ही हाथ में सोना नजर आया, मगर उसी फेलेप्स को रियो ओलंपिक में अब जाकर हार का सामना करना पड़ा है।उन्हें हराने वाला कोई और नहीं उनका 21 वर्षीय सिंगापुर का शिष्य जोसेफ स्कूलिंग है। 13 इंडीविजुअल स्वर्ण पदक और कुल 22 ओलंपिक गोल्ड मेडल के साथ ओलंपिक में 2160 साल का रिकॉर्ड तोड़ने वाले फेलेप्स के विजय रथ को उनके ही शिष्य ने रोक दिया।
नहीं जीत पाए फेलेप्स लगातार चौथा गोल्ड
रियो ओलंपिक में तरणताल के शहंशाह माइकल फेलेप्स अगर सौ मीटर बटरफ्लाई का मुकाबला जीत जाते तो उनका रियो ओलंपिक में लगातार चौथा गोल्ड होता। मगर, इस 21 साल के सिंगापुर के तैराक ने अपने गुरु फेलेप्स की ख्वाहिश पर पानी फेर दिया। जोसेफ स्कूलिंग ने 50.39 सेकंड के ओलंपिक रिकॉर्ड के साथ जीत हासिल की। अगर फेलेप्स यह मुकाबला जीत जाते तो उनका ओलंपिक में 14 वां व्यक्तिगत गोल्ड मेडल होता।
आठ साल पहले हुआ था गुरु-शिष्य का मिलन
वर्ष 2008 की बात है। जब जोसेफ स्कूलिंग ने अमेरिका तैराक फेलेप्स से मुलाकात की। तब जोसेफ ने बताया कि वह उन्हें अपना गुरु मानता है। इसके बाद वे संपर्क में रहे। माइकल फेलेप्स से जोसेफ ने तैराकी में सफलता के खूब सारे टिप्स हासिल किए। नतीजा आज गुरु को ही शिष्य ने हरा दिया।