नई दिल्ली : मुकेश अम्बानी के रिलायंस जियो को टक्कर देने के लिए अब छोटे भाई अनिल अम्बानी भी मैदान में आ गए हैं। भारतीय टेलीकॉम के क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा सौदा अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशन और विदेशी कंपनी मैक्सिस की एयरसेल के बीच हुआ है। इन दोनों कंपनियों के मर्जर से बनने वाली नयी टेलीकॉम कंपनी के एसेट्स 65 हजार करोड़ होंगे। कहा जा रहा है कि इस नई कंपनी में एयरसेल और रिलायंस कॉम्युनिकेशन की बराबर हिसेदारी होगी। वहीँ इन दोनों के मर्जर से देश में चौथी सबसे बड़ी टेलीकॉम फर्म भी आस्तित्व में आ गई है।
भारत में अभी 9 टेलीकॉम कंपनियां हैं और एयरटेल सबसे बड़ी कंपनी है, उसके पास वर्तमान में सबसे ज्यादा स्पेक्ट्रम है। इस नए मर्जर में रिलायंस कॉम्युनिकेशन के 9.87 करोड़ ग्राहक हैं और एयरसेल के 8.8 करोड़ ग्राहक हैं। इस विलय के बाद नई कंपनी तीसरे नंबर पर काबिज आइडिया को पीछे छोड़ देगी और फिलहाल भारती एयरटेल पहले और वोडाफोन दूसरे नंबर है।
अनिल अम्बानी के लिए इस विलय से अपना कर्ज कम करने में बेहद मदद मिलेगी, इस सौदे से आरकॉम को अपना कर्ज 20,000 करोड़ की मदद मिलेगी। आरकॉम और एयरसेल के विलय के बाद दोनों कंपनियां संयुक्त उद्यम को अपने 14,000-14,000 करोड़ रुपये कर्ज हस्तांतरित करेंगी। इससे नई कंपनी के ऊपर 28,000 करोड़ रुपये का कर्ज होगा। वहीँ स्पेक्ट्रम की कीमतों में आयी उछाल के कारण एयरसेल जैसी छोटी कंपनियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। अनिल अम्बानी के इस कदम को रिलायंस जियो को टक्कर देने के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।