दिल्ली शहर के लाजपत नगर में एक राकेश नाम का परिवार रहा करता था। परिवार में राकेश के अलावा उनकी पत्नी और उनकी एक छोटी सी बेटी पिंकी थी। परिवार में कम सदस्य होने के कारण उनके घर का माहौल बहुत शांत रहता। पिंकी की उम्र लगभग सात साल की थी। वह फर्स्ट क्लास में पढ़ती थी। राकेश की पत्नी का नाम मीना था वह एक हॉउस वाइफ थी। घर का सारा काम मीना खुद ही किया करती थी। उनके घर में कोई मेड न थी। पिंकी रोज स्कूल बस से ही जाया करती और बस से ही आया करती थी। मीना का पिंकी के बिना घर पर अकेले बिल्कुल भी मन न लगता। उधर राकेश भी रोज ऑफिस चला जाता।
सारा दिन घर पर अकेले बैठकर मीना कभी कोई बुक पढ़ती तो कभी कोई मैगज़ीन। और जब पिंकी स्कूल से आती तो दोंनो माँ, बेटी मिलकर एक साथ खाना खाया करते और बहुत सारी बातें किया करते। मीना पिंकी से पूछती की आज स्कूल में, आपको टीचर ने क्या पढ़ाया। आज आपने नया क्या सीखा बस इन्हीं सब बातों में उन दोंनो माँ बेटी का दिन गुजर जाता और शाम होते ही दोंनो पार्क में, खेलने जाते। और जब कभी राकेश की छुट्टी होती तो वह तीनों साथ पिकनिक जाया करते बहुत एन्जॉय किया करते। बस इसी तरह उनके दिन खुशी- खुशी गुजरते चले गए।
एक दिन पिंकी जब स्कूल की छुट्टी होने पर अपने क्लास रूम से बाहर निकली तो उसके इंग्लिश टीचर ने उसको अपने पास बुलाया और कहां पिंकी बेटा आप मुझे बहुत क्यूट लगते हो, टीचर की यह बात सुनकर पिंकी ने उन्हें थैंक्यु सर कहां और फिर उसके सर उसे अपने साथ एक कमरें में ले गए वहां उन्होंने पिंकी को कुछ टॉफी और चॉकलेट खाने को दिये और फिर उसको गोदी उठा लिया इतने में, पिंकी कहने लगी सर अब मैं" अपने घर जाऊ यह सुनकर उसके सर ने उसको एक प्यारी सी किस्सी दी और बाय पिंकी बेटा बोलकर उसे जाने को बोल दिया। इसी तरह रोज उसके सर उसको अपने साथ एक बंद रूम में ले जाते और उसको टॉफी देने के बहाने उसके साथ अश्लील हरकतें करते और उसको यह बोलते की पिंकी बेटा यह सब बात किसी को न बताना पिंकी हँसकर अपना सिर हिला देती और कहती ठीक है, सर मैं, यह बात किसी को नही बताऊंगी । मासूम पिंकी इस बात से बहुत अनजान थी की उसके साथ यह क्या हो रहा है।? वो तो यही सोचती थी, की उसके सर उसे बहुत प्यार करते है। इसी तरह पिंकी जब अगले दिन अपने सर से मिलती है, तो उसके सर उसके साथ और ज़्यादा अश्लील हरकतें करना शुरू कर देते है। यह सब देखकर पिंकी रोने लग जाती है, और घर जाने की जिद करती है, तो उसके सर उसको पहले चुप करवाते है। और उसको कहते है, की पिंकी बेटा ऐसे रोते नही है यह लो आपकी फेवरेट चॉकलेट पिंकी तुरंत चॉकलेट ले, लेती है।
फिर उसके सर उसके पास जाकर उसे बोलते है, की पिंकी बेटा अगर तुमने किसी को भी कुछ भी बताया तो में, तुम्हें बहुत मारूंगा यह बात सुनकर पिंकी अपने सर से बहुत डर सी जाती है। इसी तरह उसके सर उसको डरा, धमकाकर उसके साथ रोज अश्लील हरकतें किया करते और पिंकी सर के मार के डर से यह बात किसी से न कहती।
आए दिन पिंकी के साथ रोज यही होता। इसका असर पिंकी पर और उसके दिमाग़ पर इतना हुआ की वह अपने हर टीचरों से डरने लग गई। और बहुत ज़्यादा चुप और सहमी सी रहने लगी। जब एक दिन वह स्कूल से घर आई तो उसने अपनी मम्मी से न बात की न कुछ खाया। यह देखकर मीना उसके पास जाकर बोली क्या बात है, पिंकी बेटा आज तुम बहुत चुप सी हो किसी टीचर ने आपको डांटा है या मारा है। यह सुनकर पिंकी कुछ न बोली और चुपचाप अपने कमरें में आ गई। जब भी मीना पिंकी को पढ़ाने बैठती तो वह न ठीक से पढ़ती न अपना स्कूल होमवर्क करती। यह देख कर मीना उसको बहुत डांट लगाती और कहती की ऐसा कब तक चलेगा पिंकी न आजकल आपका पढ़ाई में मन लग रहा है न खाना खाने में। रोज स्कूल से अपना लंच आप वापस ले आती हो अगर अबकी बार ऐसा हुआ तो मुझसे बुरा कोई नही होगा यह सुनकर पिंकी रोने लग जाती है। मीना उसको रोता देख फिर डांटती है, और उसको कहती है, की बंद करो अपना यह रोना चुपचाप अपना होमवर्क करो और पढ़ो। जब पिंकी रात को अपने कमरे में सोने जाती है, तो वह अपने आपसे बातें करती है। और कहती है, की मुझे कोई प्यार नही करता सब मुझे बस डांटते रहते है। यह बोलकर वह सो जाती है। जब अगले दिन मीना उसको स्कूल जाने के लिए जगाती है, तो वह यह बोलकर स्कूल जाने से मना कर देती है। की आज उसकी तबियत ठीक नही है sऔर यह बोलकर वह फिर से सो जाती है। लगातार चार दिन तक पिंकी के स्कूल न जाने पर अगले दिन मीना उसको जबरदस्ती स्कूल छोड़ने जाती है, तो वह जोर - जोर से रोने लग जाती है। और कहती है की मम्मी मुझे स्कूल नही जाना यह सुनकर मीना उसको जबरदस्ती अपने साथ स्कूल ले जाती है। और उसको स्कूल छोड़कर आ जाती है। पर जब पिंकी स्कूल से वापस घर आती है, तो वह बहुत ज़्यादा डरी और सहमी हुई सी देखती है। और उसके पुरे शरीर में एक लाल सा निशान होता है। यह देख देख मीना उसके पास जाती है, तो वह अपनी मम्मी से दूर भागने लग जाती है। और कहती है, की आप बहुत गंदे हो आपने मेरे मना करने पर भी मुझे स्कूल भेजा अब मैं, आपसे कभी भी बात नही करुँगी। यह कहकर वह अपने कमरें में चली जाती है। पिंकी की यह बात सुनकर मीना दौड़ी -दौड़ी जब उसके पास जाती है, तो वह बहुत ज़्यादा सिसक - सिसक कर रो रही होती है। यह देख मीना उसको अपनी गोद में, ले लेती है। और उससे पूछती है की क्या हुआ पिंकी बेटा अपनी मम्मी को नही बताऊंगी तो वह अपनी मम्मी को इंग्लिश टीचर के बारें में सब बता देती है।
यह सुनकर मीना पिंकी को गले लगा कर बहुत रोती है, और अपने आपको बहुत कोसती है की में कैसी माँ हूँ जो अपनी बेटी का दर्द भी नही समझ पाई। उसकी हर खामोशी को में नजरअंदाज करती रही. शाम को जब पिंकि के पापा ऑफिस से घर आते है, तो मीना उनको सारी बात बताती है. यह सुनकर राकेश को बहुत ज़्यादा गुस्सा आ जाता है और फिर अगले दिन राकेश स्कूल जाकर.सब टीचर और बच्चों के सामने उस इंग्लिश टीचर का कॉलर पकड़ कर कहता है, की बता तूने मेरे फुल जैसी बच्ची के साथ क्या किया। यह देख सब स्कूल के स्टॉफ राकेश की तरफ देखने लग जाते है। फिर राकेश उस टीचर को प्रिंसिपल के पास ले जाकर यह बोलता है, की आप बच्चों को पढ़ाने के लिए ऐसे टीचर रखते है। जो एक मासूम बच्ची के साथ अश्लील हरकतें करता है। उसको कभी चॉकलेट और टॉफी का लालच देकर उसके साथ जोर जबरदस्ती करता है। यह सुनकर स्कूल का प्रिंसिपल उस इंग्लिश टीचर को सस्पेंड कर देता है। पर इस हादसे का असर पिंकी पर इतना ज़्यादा हो जाता है, की वह अंदर ही अंदर बहुत टूट सी जाती है। सबसे बोलना और खाना पीना सब छोड़ देती है। जब उसकी मम्मी उसको डॉक्टर के पास लेकर जाती है, और कहती है की यह घर में किसी से बात नही करती न सही से खाना खाती है, न सोती है। तब डॉक्टर यही कहता है, की आपकी लड़की अभी तक इस सदमे से खुद को बाहर नही निकाल पाई है. अगर यह ऐसी ही गुमशुम सी रही तो इसको ठीक होने में, और ज़्यादा वक़्त लग सकता है। यह सुनकर पिंकी की मम्मी बहुत उदास सी हो जाती है।
इसी तरह दिन व दिन पिंकी की हालत इतनी ज़्यादा गंभीर हो जाती है, की उसे हॉस्पिटल में एडमिट करवाना पड़ता है। धीरे - धीरे पिंकी कुछ बोल न पाने के कारण कोमा में चली जाती है। उसकी यह हालत देखकर उसके परिवार में सभी लोग उसके ठीक होने के लिए भगवान से प्रार्थणा करते है। पर वो कोमा से बाहर नही आ पाती और डॉक्टर भी यही जवाब देते है, की आपकी लड़की को कोमा से बाहर आने में, बहुत महीने या साल लग सकते है. यह सुनकर पिंकी के सब परिवार टूट जाते के सदस्य टूट जाते है। और उसके ठीक होने का इंतजार करते है।
और उसके ठीक होने का इंतजार करते है। पिंकी की मम्मी उसकी यह हालत देखकर बहुत उदास सी हो जाती है। पिंकी को ठीक होने में दिन, महीने और महीने साल में गुजर जाते है। पर पिंकी कोमा से बाहर नही आ पाती। पिंकी की मम्मी हमेशा बस खुद को ही कोसती रहती और यही कहती की मेरी बेटी की यह हालत मेरी वजह से ही हुई है। अगर मैं, अपनी बेटी को और उसकी खामोशी को समझ पाती तो उसकी यह हालत न होती। मेरी हंसती,खेलती पिंकी अब हमेशा के लिए एक जिन्दा लाश सी हो गई है। काश उसकी माँ उसका हर दर्द और दुख समझ पाती। मेरी पिंकी यह सब अकेले ही झेलती रही और में बस देखती रही। मैंने कभी भी उसकी उदासी को नही समझा न उसे कभी समझनी की कोशिश की। यह बोलकर वह जोर - जोर से रोने लग जाती है। पिंकी की मम्मी को ऐसा रोता देख आस - पास के सभी लोग उसकी मम्मी का हौसला बढ़ाते है और कहते है, की आप धीरज रखो सब ठीक हो जाएगा। पर दिन व दिन बीतने पर पिंकी की तबयत में कोई सुधार नही आ पाता। पिंकी की यह हालत देखकर डॉक्टर यही कहते है, की अब आपकी पिंकी का कोमा से बाहर आना बहुत ही मुश्किल है। यह कहकर डॉक्टर वहां से चला जाता है। और पिंकी के मम्मी व पापा यह सब सुनकर टूट से जाते है। और पिंकी को वापस घर लेकर आ जाते है।
शिक्षा - इस कहानी से यही शिक्षा मिलती है, की
हर माता - पिता को अपने बच्चों के एहसास को समझना चाहिए और अपने बच्चों के साथ एक दोस्ताना व्यवहार रखना चाहिए। और किताबी शिक्षा के साथ - साथ सामाजिक शिक्षा देना भी अनिवार्य है।
निक्की तिवारी - स्वरचित कहानी