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तेजाब ( अध्याय सातवा )

28 नवम्बर 2021

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मेरा नाम रोशनी था। मैं पेशे से एक टीचर थी। रोज सुबह सात बजे अपने घर से स्कूल के लिए निकल जाती थी।
स्कूल मेरे घर के एकदम नजदीक ही था। मेरे परिवार में मेरे अलावा मेरे मम्मी, पापा और मेरा एक छोटा भाई था।
मेरा भाई जिस स्कूल में पढता था। मैं उसी स्कूल की टीचर हुआ करती थी। मेरा भाई मेरे साथ ही स्कूल जाया करता और वापस आया करता था। मेरे पापा आर्मी में थे। घर में हम तीनों के अलावा और कोई न था। पापा अक्सर छुट्टियों में हम सब से मिलने घर आया करते थे। पापा के घर में न रहने से घर का ओर बाहर राशन का सारा काम मम्मी को ही करना पड़ता था। मैं मम्मी के काम में उनका हाथ बटाया करती थी। रोज इसी तरह घर से स्कूल और स्कूल से घर आने -जाने में ही मेरे दिन की शुरुआत हुआ करती थी। रात का खाना अक्सर में ही बनाया करती और अपने भाई को भी पढ़ाया करती। एक दिन स्कूल से आते समय  एक लड़का बाइक से मेरे पीछे - पीछे आ रहा था। मैंने थोड़ा सा साइड हटकर उसको आगे जाने का रास्ता दे दिया। फिर वो लड़का वहां से चला गया। रोज इसी तरह वह लड़का बाइक से मेरा पीछा करता। मैंने यह बात किसी को बतानी जरूरी न समझी। एक दिन वह लड़का मुझसे बात करने के लिए बीच रास्ते पर रुक गया। ( पहला भाग )
उसने मुझसे कुछ पूछना चाहा पर मैंने तुरंत अपनी स्पीड इतनी बढ़ा ली कि मैं सीधे अपने घर आ गई। जब भी मैं अपने स्कूल की खिड़की के बाहर झाँकती तो वो मुझे बाहर खड़ा हुआ दिखता। उसको देखकर में बहुत डर सी जाती।
इसी तरह दिन गुजरते गए और वह लड़का मेरा पीछा करता गया। जब एक दिन में अपनी मम्मी के साथ और भाई के साथ मेला देखने गई तो वह लड़का भी मुझे उसी मेले में मिल गया। मुझे अकेला देख कर उसने फिर मुझसे बात करने की कोशिश की और मेरे पास आकर कहा की हेलो मैडम आपका नाम जो कुछ भी हो में आपको बहुत ज्यादा लाइक करता हूँ। जब मैंने आपको फर्स्ट बार देखा तो देखता ही रहे गया। आपकी खूबसूरती पर यह मेरा दिल इस कदर आ गया। यह बात आप नही जानते। मुझे उस लड़के की बात एकदम बकवास सी लगी। जैसे वो सिर्फ मुझसे दोस्ती करने के लिए ऐसा बोल रहा हो। मैंने उसी वक़्त उसको मेले में बोल दिया की। मैं आपको पसंद हूँ। पर आप मुझे बिल्कुल भी पसंद नही हो? और में ऐसे किसी भी अनजान व्यक्ति से न ही बात करती हूँ, न ही दोस्ती। यह कहकर में वहां से चली गई। मेला खत्म होते ही  जब हम बाजार के लिए ऑटो ढूंढने लगे तो वह तुरंत अपनी कार लेकर आ गया। उसको अचानक आता देख में डर सी गई। उसने मेरी मम्मी को नमस्ते आंटी कहा और कहने लगा की आओ आंटी में आप सबको घर तक छोड़ देता हूँ। मम्मी ने उस से पूछा माफ करना बेटा मैंने आपको पहचाना नही? मम्मी की इस बात पर उसने कहा की में,आपकी लड़की का का दोस्त हूँ। उसी के साथ स्कूल में पढ़ाता हूँ। मैंने उस वक़्त मम्मी को कुछ भी बताना जरूरी नही समझा। मम्मी ने यह कहते हुए उसे मना कर दिया कि बेटा हमें अभी घर नही और कही जाना है और हम सब वहां से चल दिए। मम्मी को अकेला बाजार जाता देख उसने फिर मम्मी से अपनी जान -पहचान बना ली। और एक दिन मम्मी उसको घर पर लेकर आ गई। और मुझसे कहने लगी की रोशनी अगर आज यह मुझे बाजार में नही मिलता तो इतना सारा सामान कौन लेकर आता? उसको घर आता देख मेरे होश ही उड़ गए। आखिर यह लड़का मुझसे चाहता क्या है? तभी मम्मी ने मुझे चाय बनाने को कहा। मैंने भी गुस्से में बोल दिया की अगर आप इतना सारा सामान अकेले नही ला सकती थी, तो कम ही सामान ले आती। क्या जरूरत थी। आपको इस तरह किसी अनजान व्यक्ति को अपने घर लाने की। मेरी मम्मी बहुत सीधी -सादी औरत थी। न जाने कौन सी बात मम्मी को उस लड़के में पसंद आ गई। जिससे वह मम्मी को अच्छा लगने लगा। धीरे -धीरे मम्मी से उसकी अच्छी बातचीत होनी शुरू हो गई। मम्मी ने उसका नाम सुनील बताया और कहा जानती है, रोशनी सुनील बहुत अच्छा लड़का है। मेरी नही सबकी बहुत मदद करता है। मैंने चिढ़ के कहा की आज उसने किसकी मदद की? मम्मी ने बताया सामने वाले अंकल की। आज चक्कर खाकर गिर गए थे। सुनील ने ही उनको घर पहुंचाया। देख कितना अच्छा लड़का है। पता नही तुझे कैसे वह अच्छा नही लगता। मैंने मम्मी को फिर समझाया की देखो मम्मी आप उससे ज्यादा बात मत किया करो। पापा भी हमारे साथ नही रहते कल को कुछ गलत हो गया तो हम क्या करेगे? मम्मी मेरी यह बात सुनकर कहती की देख रोशनी तेरे पापा हमारे साथ नही रहते। अगर हमें कभी भी किसी भी काम की जरूरत पड़ गई तो यह सुनील तो हमारी मदद कर सकता है। मम्मी हमारी मदद करने को आस -पड़ोस के सभी लोग है। फिर आप क्यों उस सुनील की मदद ले रहे हो। अगर पापा को यह बात पता चली तो फिर से आप दोंनो के बीच लड़ाई होगी। एक दिन जब पापा गर्मी की छुट्टियों में घर पर आए तो मैंने उन्हें सुनील के बारें में सब कुछ बता दिया। पापा ने सारी बात सुनकर यही कहा की देखो आजकल का जमाना बहुत खराब है। ऐसे किसी भी अनजान शख्स को घर पर लेकर मत आया करो। पापा के घर आते ही  हम सब मेला घूमने गए। (दूसरा भाग ) - फिर मेले में हमें सुनील मिला। मम्मी ने पापा को सुनील से मिलवाया। पापा को भी सुनील पहली नजर में ही पसंद आ गया। धीरे -धीरे सुनील ने घर में सबका दिल जीत लिया। पर मैंने फिर भी उससे ज्यादा बात नही की। एक दिन पापा को किसी दूर के रिश्तेदार ने मेरे लिए एक रिश्ता बताया। पापा को यह रिश्ता एक बार में ही पसंद आ गया। लड़का बैंक में कलर्क की पोस्ट पर था। लड़के की फोटो देखकर मुझे भी वह एक बार में ही पसंद आ गया। लड़के के समस्त परिवार मुझे देखने आए। और मेरा रिश्ता तय हो गया। जब यह बात सुनील को पता चली तो उसने घर पर हंगामा कर दिया और कहने लगा की रोशनी मेरी पसंद है। उसकी शादी सिर्फ मुझसे होगी। और किसी से नही उसका यह रूप देखकर हम सब बहुत डर गए। उसके जाते ही साथ मैंने मम्मी से यही बोला की आप सबने देख लिया सुनील का असली चेहरा उसके अंदर का छुपा रूप। उसने आप सबका दिल मुझे पाने के लिए जीता। जिस तरह वह हम सबको धमकी देकर गया है। उससे आप सबको क्या लगता है, की वह मेरी शादी और किसी से होने देगा। पापा ने यह सब देखते हुए उसके खिलाफ पुलिस कंप्लेंट लिखा दी। पर उसकी जान पहचान बहुत बड़े-बड़े विधायक के साथ थी। इसलिए पुलिस  हमारी इसमें कोई खास मदद नही कर सकी। और पापा की भी कोई खास पहचान नही थी,किसी बड़े ऑफिस सर से जो हमें इतनी बड़ी मुश्किल से बाहर निकालते। फिर हम अपना यह घर छोड़कर कही दूसरे शहर चले गए। वहां जाकर मेरी शादी की तैयारियां जोरो -शोरो से शुरू हो गई।
शादी के दो महीने तक सब ठीक रहा। उसके बाद जो मेरे साथ हुआ? वो मैंने कभी सपने में भी नही सोचा था।
तीसरा भाग - शादी के बाद में अपने हस्बैंड और उसके परिवार के साथ गुजरात शिफ्ट हो गई थी। मेरी शादी -शुदा जिंदगी बहुत अच्छी चल रही थी। मेरे ससुराल में हम दोंनो मियां बीवी के अलावा मेरे सास, ससुर और एक छोटा देवर था। मैंने वहां जाकर भी स्कूल जॉइन कर लिया था। मैं अपनी जिंदगी में बहुत खुश थी। शादी के बाद मुझे वह सब मिला जो में चाहती थी। एक अच्छा हस्बैंड और अच्छा ससुराल भी। मार्च का महीना शुरू हो चुका था। और होली आने में सिर्फ कुछ ही दिन बाकी थे। जब एक दिन में बाजार से अपने घर जा रही थी, तेज रफ़्तार से आती हुई किसी गाड़ी ने मेरे चेहरे पर कुछ ऐसा फेका की मुझे जलन सी होने लगी। और फिर में जोर -जोर से चिल्लाने लग गई। मुझे अचानक चिल्लाता देख आस -पास के सभी लोग मेरी और देखने लगे। और किसी ने मुझे बताया की आप पर तेजाब फेका गया है। फिर आस -पास के लोगों द्वारा मुझे अस्पताल ले जाया गया। और मेरे परिवार को सूचित किया गया की आपकी लड़की के साथ हादसा हुआ है। उस पर तेजाब फेखा गया है। यह सुनकर मेरे सभी ससुराल वाले अस्पताल आ गए। करीब पाँच घंटे बाद मुझे होश आया तो मेरे पूरे शरीर पर एक पट्टी सी बंधी पड़ी थी। तेजाब से मेरा पूरा शरीर बुरी तरह से झूल्स गया था। बस आँखों पर तेजाब का कोई असर नही हुआ था। घर के सभी लोग मेरे साथ मौजूद थे। मेरे सास - ससुर, मम्मी -पापा और मेरे हस्बैंड। और मेरे आँखो से सिर्फ आंसु टपक रहे थे। सब को मेरा दर्द समझ आ रहा था। पर सब के चेहरे पर एक खामोशी सी छाई हुई थी। फिर बाहर से डॉक्टर आए। और उन्होंने सबको बाहर जाने को कहां। एक हफ्ते बाद जब मेरे चेहरे से पट्टी हटाई गई तो सब ने पीछे की तरफ अपना मुँह फेर लिया। यह सब देखकर मुझे अपने आप पर बहुत रोना आया। मैं समझ गई थी की कोई भी मेरे जले हुए चेहरे का सामना नही कर पायेगा। मैंने अपना चेहरा देखने के लिए नर्स से आइना मांगा तो वो वहां से चली गई। जिस वार्ड में मुझे सिफ्ट किया गया था। वहां कोई भी आईना नही था।
फिर मुझे घर के लिए डिस्चार्ज कर दिया गया। घर आते ही साथ मुझे सबसे पहले बाथरूम में नहलाने ले गए। और जब मेरे शरीर से पट्टी हटाई गई तो मुझे इतना ज्यादा दर्द हुआ की में बहुत जोर -जोर से रो पड़ी। पट्टी के साथ -साथ मेरी थोड़ी बहुत चमड़ी भी उखड़ रही थी। मेरे से यह दर्द बिल्कुल भी सहन नही हो रहा था। मुझे दर्द में रोता देख मेरी सासु माँ भी रोने लग गई। तीसरा भाग - जब मुझे नहाकर अपने कमरें में ले जाया गया। तो मैंने अपना चेहरा देखना चाहा। वहां से भी सब आईने हटा दिए गए थे। मुझे बस किसी भी तरह से अपना चेहरा देखना था। इस हादसे के बाद मुझे कोई भी एक पल के लिए अकेला नही छोड़ता था। कोई न कोई घर का सदस्य मेरे साथ रहता ही था। जब एक दिन अपने आपको अकेला पाया तो मैंने सबसे पहले अपने आपको आईने में देखा तो में खुद का ही चेहरा देखकर डर सी गई। और पीछे मुड़कर देखा तो मेरी सासु माँ खड़ी थी। मैंने फिर दुबारा जब अपना चेहरा देखा तो मेरी चीखे निकल गई। फिर मेरी सासु माँ मुझे मेरे कमरें में ले गई। उन्होंने मुझे आराम से बिस्तर पर बिठाया और कहां तुम अपने आपको आईने में मत देखा करो। जितना तुम आईना देखोगी, तुम्हें उतना ही दर्द होगा। यह सुनकर मैं अपनी माँ को सीने से लगा कर बहुत रोई। डॉक्टर ने मुझे डिस्चार्ज तो कर दिया था। पर मुझे ठीक होने में काफी साल लग गए। तेजाब के इस हादसा ने मेरी पूरी जिंदगी खराब कर दी थी। मै न ठीक से कुछ खा पाती थी। न ही सही से कुछ बोल पाती थी। बोलने पर मेरे पुरे अंदर का जबरा बहुत दर्द करने लग जाता था। व्हीलचेयर के सहारे मुझे अपना सारा काम करना पड़ता था। मेरे जाँग पर से मांस निकाल कर तो डॉक्टर ने मेरे चेहरे पर लगाए थे। मेरा शरीर अब पहले जैसा नही था। जब में चलने के लिए अपने पैर उठाती थी। तो एक कदम भी ठीक से चल नही पाती थी। इसलिए मुझे चलने में बहुत दिक्कत होती थी। सबको चलता देख मुझे खुद पर और ज्यादा तरस आता। दिनभर यही सोचती रहती की मैं कब अपने पैरों पर फिर से खड़ी हो पाऊंगी।
मेरी इस परिस्थिति में मेरे हस्बैंड ने हमेशा मेरा साथ दिया एक छोटे बच्चे की तरह मेरी देखभाल की जब उनकी छुट्टी होती तो वह मुझे नहलाते मेरे कपड़े,धोते मुझे खाना खिलाते। वरना ऐसी परिस्थिति में भी कई हस्बैंड अपनी वाइफ को छोड़कर चले जाते है। उनका सामना नही कर पाते। पर मुझे उनका बहुत साथ मिल रहा था। मैं बहुत खुशनसीब थी। जो मुझे ऐसा जीवनसाथी मिला जिसने हर कदम पर मेरा साथ दिया। मेरा हौसला बढ़ाया। मुझे फिर से इस जख्म से उभरने में मेरी मदद की। एक अच्छा दोस्त बनकर भी और अच्छा जीवनसाथी बनकर भी। जब कभी में अकेले बैठा करती तो यही सोचा करती थी। की मेरे साथ
ऐसा क्यों हुआ? मैंने किसी का क्या बिगाड़ा था। जिसने मेरे चेहरे पर तेजाब फेक दिया। पर दिल ही दिल में,मेरा सारा शक सुनील पर जा रहा था। क्योंकि वो ही मेरी शादी के खिलाफ था। पर मेरे पास उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत नही था। और न ही मैंने उसे खुद पर तेजाब डालते हुए देखा। पर दिल अंदर से उसी की गवाही दे रहा था। इस हादसे से मैं पूरी तरह से टूट चुकी थी। दिनभर अपने कमरें में रोती रहती थी। और खुद को कोसती रहती थी। 
मेरे ससुराल वाले मेरा बहुत ज्यादा ख्याल रखते थे। उन्होंने मुझे कभी भी अपने मायके की याद नही आने दी। पर मुझे ऐसा एहसास होता था, की मैं इन सब पर एक बोझ सी बन गई हूँ। तभी मैंने फैसला किया की अब में यह घर छोड़कर हमेशा के लिए चली जाऊंगी। और अपनी एक अलग दुनिया बनाऊंगी। पर मेरा अकेले रहना ठीक नही होगा फिर से सुनील मुझ पर कोई हमला कर सकता है। मेरी इसी सोच ने मुझे सबके साथ रहने पर बेबस कर दिया। जब भी में अपना पहले वाला खूबसूरत चेहरा याद करती तो इस जले हुए चेहरे से मुझे नफरत सी होने लग जातीथी। अब मैं न ही पहले की तरह सज पाऊंगी न अच्छे कपड़े पहन पाऊंगी। मुझ पर तो अब कुछ भी अच्छा नही लगेगा। जब में कहीं बाहर जाऊंगी। तो सभी लोग मुझे ही देखा करेगे। अब मैं कैसे सबका सामना करुँगी। यही सोचकर में हिम्मत हार जाती थी। जब डॉक्टर के पास जाया करती। तो लोगों की भीड़ सी लग जाती मुझे देखने के लिए। यह देख कर मुझे बहुत बुरा लगता। अंदर से मन बहुत रोता यह देखकर की अब मुझे इन सब लोगों का रोज सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा और क्या कर सकती थी मैं? जब भी डॉक्टर मेरी पट्टी बदलते तो उसमें से इतना सारा ब्लड निकलता  और मुझे उतना ही ज्यादा दर्द भी होता था।दर्द से इतना चीखती थी की सारा अस्पताल मेरी चीखो से गुज़ उठता था। मेरा दर्द देखकर डॉक्टर भी रो दिया करते थे।और कहते थे। की तुम्हारे अंदर बहुत सहनशक्ति है। दर्द सहने की तुम बेटा कभी भी हिम्मत मत हारना। एक तुम ही अकेली लड़की नही हो जिसपर तेजाब फेका गया। दुनियां की कई लड़कियां इस तेजाब के हादस को झेल चुकी है। और उभर भी चुकी है। यह फोटो देखो? इसका नाम सलोनी था। इस पर भी तेजाब फैका गया था। तेजाब से यह अपनी दोंनो आंखे हमेशा के लिए खो चुकी थी। पर आज इसके हौसले इतने बुलंद है। की मौत भी इसके आगे अपना सिर झुकाए खड़ी है। ब्लाइंड होकर भी अपने हर सपने को यह पुरा कर रही है। जब किसी इंसान के जाने से हमारी जिंदगी नही रूकती। तो कोई भी ऐसा जख्म नही है। जो न उभरे। तुम पहले जैसी चल सकोगी। पर इस जले हुए चेहरे के साथ तुम्हे अपनी एक अलग पहचान बनानी होगी। यही तुम्हारे जीने का आगे बढ़ने का सहारा है। धीरे धीरे मेरे हर जख्म ठीक होते गए। और मैंने फिर से स्कूल जॉइन कर लिया। और जब पहली बार में इस हादसे के बाद स्कूल गई तो सब की नजर मेरी और ही थी। फिर सबने मुझसे यही सवाल पूछना शुरू कर दिया की यह सब कैसे हुआ? सबके सवालों का जवाब दे देकर में बहुत थक चुकी थी। फिर से मैंने घर में रहना शुरू कर दिया। फिर मुझे मेरी सासु माँ ने समझाया की इस तरह तुम हिम्मत न हारो उनका डटकर सामना करो वरना जिंदगी में तुम कभी भी आगे नही बढ़ पाओगी। सबके सवाल तुम्हे इसी तरह अंदर से और तोड़ देंगे। इसलिए तुम हिम्मत न हारो हम सब है तुम्हारे साथ। उनकी यह बात मेरे दिल को छू गई। और मेरे लिए एक नई मिशाल बन गई। और मैंने यह निश्चय किया की अब मैं स्कूल भी जाऊंगी। और लोगों का सामना भी करुँगी 
लोगों का तो यही काम होता है। कमजोर इंसान को और कमजोर बनाना। तुम इन सब लोगों पर और उनकी बातों पर जितना ध्यान दोगी। वह तुम्हे उतना ही परेशान करेगे। अपनी सासु माँ की यह बातें मेरे लिए एक नई प्रेरणा बनी। और मैंने फिर से स्कूल में पढ़ाना शुरू कर दिया। फिर मेरा घर से बाहर जाना लगा ही रहता। कभी बाजार जाती तो कभी फैमिली के साथ घूमने। अब मैंने अपना तेजाब से जला चेहरा स्वीकार कर लिया था। पहले जैसे सजना -सवरना मुझे फिर से अच्छा लगने लगा था। अपने लिए शॉपिंग करना अपने पसंद के कपड़े पहनना। अब में पहले वाली रोशनी नही थी। मैंने लोगों के तानो के साथ फिर से जीना शुरू कर दिया था। इस हादसे से में इतना उभर गई थी की। अब सड़क पर बेखौफ घुमा करती थी। इस हादसे से मैं इतना निडर हो चुकी थी की अब सुनिल जैसे लड़को का डटकर सामना करना चाहती थी। पहले की तरह डर के रहना मैंने अब छोड़ दिया था। बेशक इस तेजाब ने मेरे चेहरे की खूबसूरती मुझसे हमेशा के लिए छीन ली थी। पर मेरे हौसलों को एक नई उड़ान दे गए थे।

      शिक्षा - इस कहानी से हमें यही शिक्षा मिलती है
कि बदले कि भावना में इंसान को किसी भी लड़की कि जिंदगी से खिलवाड़ नही करना चाहिए।
             निक्की तिवारी 
               स्वरचित कहानी ✍️
Jyoti

Jyoti

बिल्कुल सही

5 दिसम्बर 2021

Avinash Lambert

Avinash Lambert

Good lines

3 दिसम्बर 2021

1 दिसम्बर 2021

30 नवम्बर 2021

काव्या सोनी

काव्या सोनी

Behtreen likha aapne 👌👌

28 नवम्बर 2021

ABHISHEK DWIVEDI

ABHISHEK DWIVEDI

Good 👍👍👍

28 नवम्बर 2021

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