अनूप श्रीवास्तवनई दिल्ली: कभी आरजेडी के सांसद रहे मो. शहाबुद्दीन की रिहाई को लेकर बिहार के सीवान में हर कोई जश्न में डूबा हुआ है सिवाय चंदबाबू के घर के। 16 अगस्त 2004 को सीवान के व्यापार ी के दो बेटों का अपहरण कर उन्हें तेजाब से नहला कर उनकी हत्या कर दी गई और इसके मुख्य आरोपी और कोई नहीं आरजेडी के तत्कालीन सांसद शहाबुद्दीन थे। व्यापारी चंदबाबू के दोनो ही लड़के सतीश राज और गिरीश राज की हत्या के बाद इनके तीसरे भाई और केस के इकलौते चश्मदीद गवाह राजीव रौशन की भी हत्या कर दी गई।
कहीं जश्न तो कहीं मातम
रिहाई को लेकर जहां एक ओर सीवान में जश्न का माहौल है तो दूसरी ओर मातम पसरा हुआ है। सीवान के चर्चित दोहरे अपहरण और तेजाब हत्याकांड के गवाह राजीव रोशन के घर में मातम का माहौल पसरा है। मृतक के पिता चंदाबाबू ने कहा कि - न्याय से भरोसा उठ गया, नहीं जाएंगे सुप्रीम कोर्ट। बाहुबली मो. शहाबुद्दीन की आज 11 वर्षों के बाद रिहाई हो गई। जिसके बाद से चंदाबाबू के घर पर मातम पसरा हुआ है। चंदाबाबू बोले कि शहाबुद्दीन को तेजाब कांड में ही उम्र कैद के बजाय फांसी होनी चाहिए थी, लेकिन उम्र कैद की सज़ा मिलने के बाद भी हाईकोर्ट ने बेल दे दी। चंदाबाबू ने कहा कि प्रदेश में शहाबुद्दीन की सरकार है। ऐसे में उन्हें न्याय मिल पाने की उम्मीद भी नहीं थी।
क्या था मामला
दरअसल 16 अगस्त 2004 को सीवान में दोहरे हत्याकांड और तेजाब का ऐसा मामला हुआ जिससे पूरा देश हिल गया। जिसके बाद मृतक के तीसरे भाई राजीव रौशन ने खुद को घटना का चश्मदीद गवाह बताते हुए पूरी घटना की सूचना कोर्ट में दी थी। उसके इस बयान पर ही पिछले वर्ष 11 दिसंबर को सिविल कोर्ट ने शहाबुद्दीन को दोषी बताते हुए उम्र कैद की सज़ा सुनाई गई थी। लेकिन 16 जून 2014 को सीवान के डीएवी कॉलेज के पास केस के एकमात्र चश्मदीद राजीव रौशन की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई। जिसके बाद बुधवार को हाईकोर्ट ने शहाबुद्दीन को बेल दी। अब शाहबुद्दीन जेल से बाहर है और बाहर आते ही उनका टेरर भी दिखने लगा है।
शहाबुद्दीन के परिवार ने कहा- साथ मनाएंगे बकरीद
मो. शहाबुद्दीन के पिता एसएम हसिबुल्लाह ने ख़ुशी जताते हुए कहा कि बेटे को ज़मानत मिल गई है। अब बकरीद की खुशी दोगुनी हो गई है। वहीं मो. शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब ने कहा कि हमें साहेब की रिहाई 2003 से ही इंतजार था कि वे घर कब आएंगे। 13 साल से ज्यादा हो गए। ऊपर वाले के घर में देर है, अंधेर नहीं। ऊपर वाले पर भरोसा किए बैठे थे कि न्याय होगा ही। सच्चाई एक-न-एक दिन सामने आ ही जाती है। आखिरकार उन्हें ज़मानत मिली, इस बात की खुशी है। हिना का कहना था कि 13 अगस्त 2003 को प्रतापपुर कांड के सिलसिले में कोर्ट में हाज़िर हुए थे। 2005 में ज़मानत मिली पर वो घर नहीं आए क्योंकि उन्हें ज़िलाबदल कर दिया गया। और फिर फॉल्स बिजली बिल के आरोप में उन्हें 2005 में ही दिल्ली से गिरफ़्तार किया गया। तबसे हमको उनके आने का ही इंतज़ार था।