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कलयुग

30 अक्टूबर 2022

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तुम कलयुग की 'राधा' हो, तुम पूज्य न हो पाओगी,


कितना भी आलौकिक और नैतिक प्रेम हो तुम्हारा,


तुम दैहिक पैमाने पर नाप दी जाओगी,


तुम मित्र ढूँढोगी...वे प्रेमी बनना चाहेंगे...


तुम आत्मा सौंप दोगी...वे देह पर घात लगायेंगे...


पूर्ण समर्पित होकर भी... तुम 'राधा' ही रहोगी...


रुक्मिणी' न बन पाओगी...


पुरुष किसी भी युग के हो... वे पुरुष हैं...


अतः सम्माननीय हैं, तुम तो स्त्री हो,


तुम ही चरित्रहीन कहलाओगी ....


वो युग और था, ये युग और है,


तब 'राधा' होना, पूज्य था, अब 'राधा' होना हेय है,


तुम विकल्प ही रहोगी, प्राथमिकता न हो पाओगी,


एक पुरुष होकर जो...? स्त्री की 'मित्रता' की मर्यादा समझे...?


निस्वार्थ प्रेम से उसे पोषित करे..?समाज की दूषित नजरों से बचाकर..?


अपने हृदय में अक्षुण्ण रखे...?वो मित्र कहाँ से लाओगी...?


वो 'कृष्ण' कहाँ से लाओगी...?


तुम कलयुग की राधा हो,


तुम पूज्य न हो पाओगी...!

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