जला के प्रीत का दीपक रहे उपवास वो निर्जलसजे श्रंगार सब देखो लगा है आंख में काजलपहन कंगन लगा बिंदी बंधी हैं पांव में पायलछुपेगा चांद भी इनसे, करेंगी रूप से घायलअभिनव मिश्र"अदम्य
करवा चौथ, आज बीतें बरस, पिया! तेरे इंतजार में। मन पुलकित, पल छिन, देखुंगा आज तुम्हें, चांद के रूप में! संजी-संवरी, पिया! सोलह श्रृंगार किया, रहूंगी तेरे लिये आज मै, निर्जला, उपवास मैं, तेरे लिये! है कामना कि रहे दीर्घायु, रहे हमेशा तेरा साथ, जन्मों-जन्म, यही आशा कर रही। सूर्य प्र
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