मेरा कष्ट बढ़ाकर तुमको आता है आनंद मुझे छटपटाता देखकर तेरा पुलकित होता मन दिल तड़पाकर क्या चाहते हो दिल दुखाकर क्या चाहते हो मुझको रुलाकर क्या चाहते हो क्या चाहते हो
पतझड़ के बाद ही,नए पत्ते आते हैं,कठिनाई सहने के बाद ही,अच्छे दिन आते हैं।नए हरे पत्तों से ऋंगार करके,पेड़ इठलाता है,मगर उसके पहले वह,कितने कष्ट झेल जाता है।वही जानता है उस कष्ट को,जब एक एक पत्ते छोड़ते थ