डियर काव्यांक्षी
Good morning sweetu❤️ कैसी हो प्यारी ☕☕चलो चाय संग गपशप करते है❤काव्यांक्षी ️मै थोड़ी सी अजीब हू ना मेरी ख्वाहिशें चाहते सब अलग है जो मन में आए वो करना ही है चाहे फिर अंजाम सही हो या गलत कभी कभी ये जानते हुए कि कुछ करने से सिर्फ परेशानी ओर दर्द मिलेंगे फिर करना होता है , और ना ही दूसरो के नज़रिए से अपनी सोच बदल पाती हू, जो मन को सही लगे वहीं सोच बन जाती है, कोई अगर बुरा बताए जब तक खुद को बुरा ना लगे नहीं मान पाती, कोई किसी को अच्छा कह दे तो क्या मन लू अच्छा तुम ही बताओ काव्यांक्षी ऐसा कैसे हो सकता है कि कोई चीज या इंसान किसी के लिए अच्छा है तो मेरे लिए भी अच्छा है या किसी और के लिए बुरा है तो मेरे लिए भी बुरा सबकी पसंद के साथ साथ बेहतरी के अंजाम और असर भी तो अलग अलग होते है क्या मै गलत हू काव्यांक्षी
क्या सभी चीजे सबके लिए एक सी होती है, नहीं ना फिर क्यों कोई अच्छे बुरे को मानने पर मजबूर करते है, किसी को सिर्फ अपने एहसास या सोच बताने का हक़ जरूर है मनवाने का नहीं
मैं जरा सी हूं अजीब
रहना चाहूं खुद ही करीब
ना बादलों की चाहत
ना बारिशें दे राहत
ना हवाओं की चाहूं उड़ान
ज़मीं से जुड़ी रहे बस पहचान
मैं कठोर जैसे पर्वत चट्टान
मैं रेत सी सागर संग बह जाने का अरमान
मैं इंद्रधनुषी रंग पल पल बदलते मेरे ढंग
मैं जरा जरा अजीब रहना चाहूं खुद के करीब
जो मुझे सताए बेवजह रुलाए
वही पाने की चाहत
कल तक जो न मन को भाए
आज उस पर दिल आ जाए
खामोशी मेरी कितना कुछ कह जाए
जो ना कहो वो भी समझ आए
बात बस इतनी सी
मैं हूं अपनी सी
मर्जिया ना किसी न मुझ पर चल पाए
करू वही जो मेरा दिल चाहे
हां हूं जरा मै अजीब
मैं हूं अपने ही करीब
दिखावे के रिश्तों से जुड़ ना पाऊं
नही कहती जो ना कहना चाहूं
दिल किसी का रखने के लिए भी
महसूस न करू बाते वो ना कह पाऊं
अच्छा अब चलती हू काव्यांक्षी मेरी तो बेकार की बाते कभी खत्म नहीं होनी तुम अपना ख्याल रखना
काव्या