डियर काव्यांक्षी
कैसी हो डियर,मै कैसी हूं अब क्या बताऊं डियर,लोग कहा किसी को चैन से रहने देते है, खुद की गलती का गुस्सा भी दूसरो पर निकालते है, खुद क्या किया वो नहीं नज़र आता, बस उनकी कोई भी गलत बात का भी जवाब हम ना दे, जो दे दे तो चोट उनके अहम पर लग जाती है, और वो इतना नीचे गिर जाते है कि समझ नही आता उनकी ऐसी मानसिकता को दयनीय नजर से देखे या गुस्सा करे , या फिर हास्य समझकर उनके किए को एंजॉय करे, काव्यांक्षी ऐसे लोग ना खुद में ही जीते है खुद की खयालों की दुनिया में खुद को ही सही समझते है और आस पास जो उनको अपना माने उनको ही हर्ट करते है , जब बात उनके हिसाब से नही होती तो जिसे दिल से अपना मानने का दावा करते है , उनको ही बदनाम करने से भी नही चूकते क्या ऐसे लोग हमारे लिए खतरनाक साबित नहीं होते,काव्यांक्षी जो हमे अच्छे से जानते है वो तो भरोसा नहीं करेंगे उनकी बातो का पर जो हमे ज्यादा नहीं जानते क्या वो उनकी बातों में नहीं आयेंगे, ये दिमाग से बीमार लोग जीना हराम कर देते है पता नहीं क्या मिल जाता है उन्हे जो ऐसा करते है, जो वो हासिल नहीं कर सकते उसे जीने लायक न छोड़े जीना दुश्वार कर दे बस,उसे इतना परेशान कर दे कि जो सब या तो छोड़ दे या मरने को मजबूर हो जाए, जिन्होंने भी ऐसा किया ना काव्यांक्षी वो कभी खुश नही रह पाते, क्योंकि जाने कितनी बदुआ लिए फिरते है वो लोग
चलती हुं फिर मिलते है अपना ख्याल रखना,
जो भी मिले दगाबाज मिले
मुरझाए दिल के अरमान
हर शख्स हमे धोखेबाज मिले
काव्या