नई दिल्ली : दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाने का सपना सीएम केजरीवाल का अब हवा हवाई होता नजर आ रहा है. जिसके चलते पंजाब में सरकार बनाने की तैयारी में जुटी आम आदमी पार्टी अब पिछले तीन महीने से देश की राजधानी दिल्ली में 80 हजार गैस किट घोटाले की जाँच बिना कराये अब इस मामले में नया सर्कुलर जारी कर चुकी है. दरअसल सवाल तो इस बात का है कि कल तक जनता के बीच ईमानदारी की डुगडुगी बजाने वाले 'आप' के मुखिया केजरीवाल क्या जनता से अपनी कुर्सी बचाने के लिए छल कपट कर रहे हैं.
जिस घोटाले की वजह से हटे थे राय वही फिर शुरू
गौरतलब है कि 'आप' कि सरकार ने पुराने वाहनों में CNG गैस किट लगाने के घोटाले में अपनी छवि बचाने के लिए पूर्व ट्रांसपोर्ट मंत्री गोपाल राय को उनकी कुर्सी से हटाया था. बावजूद इसके केजरीवाल ट्रांसपोर्ट विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार पर अपनी लगाम लगाने में उस समय मजबूर हो गए, जब उनके चहेते और सबसे नजदीकि मंत्री सत्येंद्र जैन ने उनके सामने यह प्रस्ताव रख दिया कि पंजाब में अगर 'आप' कि सरकार बनानी है तो उसके लिए पार्टी की आर्थिक स्थिति मजबूत होना बहुत जरुरी है.
क्यों पसंद आया CM केजरीवाल को अपने मंत्री का प्रस्ताव ?
इसलिए इस घोटाले की जाँच ना कराकर CNG किट वालों के पक्ष में एक नया सर्कुलर जारी कर दिया जाये. इसके एवज में पार्टी को घोटाले में फंसी CNG किट कंपनियां मोटी रकम चंदे में देंगी. जिससे पार्टी कि आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और पार्टी पंजाब चुनाव में इन पैसों की दम पर चुनाव लड़कर अपनी सरकार बना सकेगी.बताया जाता है कि दिल्ली के सीएम और 'आप' के मुखिया अरविन्द केजरीवाल को अपने ट्रांसपोर्ट मंत्री सत्येंद्र जैन का यह प्रस्ताव बहुत पसंद आया और उन्होंने इस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी.
मंत्रीजी के रिश्तेदार भी शामिल रहे डील कराने में
सूत्रों के मुताबिक सीएम केजरीवाल का इशारा होते ही ट्रांसपोर्ट मंत्री सत्येंद्र जैन इस डील को फ़ाइनल करने में लग गए. पिछले महीने ही उनके एक CNG गैस किट कंपनी चलाने वाले रिश्तेदार के जरिये ही यह डील फ़ाइनल की गयी बताई जाती है. बताया जाता है की इस डील में शुरू से लेकर अंत तक ट्रांसपोर्ट विभाग के मुखिया यानि स्पेशल ट्रांसपोर्ट सेक्रेट्री केके दहिया की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. उन्होंने ही मेहनत कर इस बड़ी डील को वाहन निर्माताओं से सांठगांठ कर किसी तरह फ़ाइनल करवाया है. दरअसल मंत्री सत्येंद्र जैन ने इस मामले को इतने दिनों तक इसलिए टाले रखा ताकि 'बात का बतंगगड़' ना बन जाये. और जैसे ही मीडिया में यह मामला शांत हुआ. उन्हें मौका मिला. तो तत्काल उन्होंने विभागीय कमेटी की बैठक बुलाकर इस मामले में अपना नया फैसला जारी कर दिया.
डील फ़ाइनल कराने में दहिया का अहम् रोल
विभाग की तीन सदस्यों वाली स्पेशल ट्रांसपोर्ट कमिश्नरों वाली इस कमेटी में शामिल अफसर संजय कुमार, केके दहिया ( सचिव ) और बनका ने 9 अगस्त को यह फैसला अपने स्तर से ले लिया. चूँकि दहिया के पास विभाग का स्पेशल कमीश्नर का पद भी था. इसलिए डील फ़ाइनल होने के बाद वाहन निर्माताओं के पक्ष में कमेटी ने अपना फैसला प्रशासन को भेज दिया. विभाग के प्रशासनिक ट्रांसपोर्ट कमीश्नर गोविन्द राम के हवाले से 9 अगस्त 2016 को जारी किये गए पत्रांक संख्या- F 8 (13 ) / 95 / ADMN / TPT / PR / PLF / 7390 के मुताबिक इस सर्कुलर में कहा गया है कि CNG किट लगाने का अधिकार वाहन निर्माताओं को देते हुए कहा है कि अपने शोरूम में CNG किट लगवाएं.
रिट्रोफिटिंग सेंटरों ने सर्कुलर को ठहराया गलत
फिलहाल ट्रांसपोर्ट विभाग से जारी किये गए इस सर्कुलर को लेकर दिल्ली में पुराने वाहनों में CNG किट लगाने वाले रिट्रोफिटिंग सेंटरों के मालिकों ने विभाग के इस सर्कुलर को असंवैधानिक और तुगलगी बताया है.सुरक्षा की दृष्टि से ऑटोमोबाइल रिसर्च अथॉरिटी ऑफ इंडिया ARAI और आईकैट नाम की प्रमाणित संस्था वाहनों में CNG किट लगाने की अनुमति प्रदान करती है.रिट्रोफिटिंग सेंटरों के मुताबिक इस नियम के उलट विभाग ने पुराने वाहनों में CNG किट लगाने का अधिकार वाहन निर्माताओं से सांठगांठ कर उन्हें दे दिया है. दिलचस्प यह है की इस घोटाले की परतें ढकी रहें. इसलिए सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि CNG किट पर लगाए गए प्रतिबंध के चलते पिछले 50 दिनों से ट्रांसपोर्ट विभाग में तकरीबन 3000 हजार वाहनों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो सका. जिसके चलते विभाग ने दिल्ली में हुए CNG घोटाले की बिना जाँच कराये यह फरमान जारी कर दिया.
घोटाले में शामिल अफसरों को पार्टी बनाएगी सेना
बहरहाल अब इस नए सर्कुलर के खिलाफ आम आदमी सेना ने अदालत का दरवाजा खटखटाने का निर्णय लिया है. सेना के अध्यक्ष प्रभात कुमार का कहना है कि इस बड़े घोटाले कि जाँच कराये जाने को लेकर वह अब अदालत की चौखट पर जाने का निर्णय ले चुके हैं. जिसमें घोटाले में शामिल अफसरों और मंत्री को उन्होंने इसमें पार्टी बनाने का फैसला किया है. इससे यह बात तो साफ है कि दिल्ली को प्रदूषण से मुक्ति दिलाने का जो सपना केजरीवाल ने देखा था. वह झूठा था. बस जनता का दिल जीतने के लिए ही केजरीवाल ने यह नाटक