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खंडहर

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गली के कोने पर जो खंडहर नुमा मकान हैकिसी वक़्त बसेरा था कुछ ख़्वाबों का.कुछ ख़्वाब तड़के-तड़के उठना जाने किस उधेड़बुन में लग जाते.कभी इधर भागते, कभी उधर दौड़तेकभी उपर वाले कमरे में कुछ काग़ज़ात तलाशते.कभी

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