25 मार्च 2015
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ऐसा भी क्या की मेरे विचार मुझसे बनकर मुझमें ही गुम हो जाएँ. चाहती हूँ मैं, कि ये मुझमें जन्म लें, बाहर आएं, पौधे बनें, फूल बनें, फिर फल बन जाएं, जिन्हें सभी सराहें और खाएं... D
Accha
26 मार्च 2015
कहीं कुछ तो हो कि सोता जाग जाये , उम्मीदों को जगाती कविता |
26 मार्च 2015