एक हिंदी प्रेमी
लगा रहे थे,
ज़ोर-ज़ोर से नारा
हिंदी जानो,
सीखो और सिखाओ,
अंग्रेजी हटाओ,
तभी
किसी श्रद्धालु ने पूछा
आपका शुभनाम ?
तपाक से बोले वो,
मुझे कहते हैं 'सोभाराम'
हिंदी की टूट गई टांग !
ऐसा भी क्या की मेरे विचार मुझसे बनकर मुझमें ही गुम हो जाएँ. चाहती हूँ मैं, कि ये मुझमें जन्म लें, बाहर आएं, पौधे बनें, फूल बनें, फिर फल बन जाएं, जिन्हें सभी सराहें और खाएं... D