2/7/22
प्रिय डायरी,
आज मैंने शब्द.इन में खुले आसमान में शीर्षक पर कविता लिखी।
आज कल ऐसे ही बरसात का मौसम है। कहीं धूप तो बदली की छाया है। मौसम का पूर्वानुमान नहीं लगा सकते हैं। पल भर में मौसम बदल जाता है।
सबसे ज्यादा प्रभावित करता है जब बाहर बिना छाता के धूप देखकर निकल जाए और बारिश को देखकर रुकना पड़ जाए फिर बंद होने पर आगे बढ़ते हैं और सफ़र जारी रखते हैं। खास तौर पुरूषों के साथ अक्सर होता है।
घर में गृहणीयों को खास तौर पर कपड़े सुखाने के लिए बार बार ध्यान रखना पड़ता है। अभी धूप है कपड़े पड़े रहने देते हैं जैसे ही बारिश शुरू होने वाली हो जल्दी जल्दी कपड़े उठाओ की सूखे कपड़े भीग न जाए।
कल डायरी, पुस्तक लेखन प्रतियोगिता और बेस्ट सेलर प्रतियोगिता का परिणाम घोषित किया गया। मेरी ओर से विजेताओं को हार्दिक बधाई।
धन्यवाद
अनुपमा वर्मा ✍️✍️