10/7/22
प्रिय डायरी,
आज मैंने शब्द.इन पर घिसी हुई चप्पल शीर्षक पर कविता लिखी।
घिसी हुई चप्पल संघर्ष और कठिनाइयों को बयां करती है। जब नौकरी के लिए संघर्ष शील जीवन होता है और चप्पल पहनकर बाहर जाते हैं और नौकरी ढूंढ़ते रहते हैं इससे चप्पलें चलते चलते घिस जाती है।
आज युवा वर्ग को नौकरी मिलना भी कितना कठिन है। मिल भी जाए तो नौकरी को यथावत बनाए रखना भी उतना ही कठिन है।
काम का बोझ इतना की शाम होते थक कर चूर हो जाता है कि घर में ये ऑफिस का काम तनाव का कारण बन जाता है। अंतः घर में लड़ाई झगड़ा होने लगता है।
घर में तनाव कम करने के लिए जरूरी है एक तो ऑफिस का तनाव घर न लाएं और यदि लाए तो घर में मनोरंजन साधन से अपने आप को तनाव मुक्त करे फिर स्वस्थ जीवन जिए और माहौल को भी खुशनुमा रखें।
धन्यवाद
अनुपमा वर्मा ✍️✍️