9/7/22
प्रिय डायरी,
कल हमने आस्था शीर्षक पर कविता लिखी। आज तो सुख और उम्र शीर्षक पर कविता लिखी।
आस्था से हमारे जीवन में तात्पर्य क्या है। ईश्वर में भक्ति भावना, उस ईश्वर के प्रति विश्वास रखना जिसने हम सब को बनाया। अपने जीवन में दुःख तकलीफ में विश्वास बनाए रखना कि ईश्वर हमारे साथ है। उसी की वजह से हम सब तकलीफ से बाहर निकल पाएंगे।
हम सब युवावस्था में होते हैं तो संघर्ष आसानी से कर लेते हैं किन्तु प्रौढ़ अवस्था में थोड़ा तन थक जाता है फिर भी कोशिश लगातार रहती है बच्चों की शादी हो जाए उनकी लाइफ सेटल हो जाए।
जब वृद्धावस्था आती है तो उम्र हमारी काफी गुजर चुकी होती है और इस अवस्था में हम सिर्फ आराम और सुकून चाहते हैं। अगर बच्चे हमारे लायक निकले तब तो आराम और सुकून से गुजरती है। अगर बच्चे नालायक निकले तो दिन रात काटना मुश्किल होता है। बच्चे बोझ समझ कर वृद्धाश्रम छोड़ आए तो वहीं बाकी दिन गुजरने पड़ते हैं।
धन्यवाद
अनुपमा वर्मा ✍️✍️