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खुशियो का घर

hindi articles, stories and books related to Khushiyo ka ghar


कवि:- शिवदत्त श्रोत्रियजहाँ हम तुम रहे, बना खुशियो का घरकैसी होगी ज़मीन, वो कैसा होगा शहरहाथो मे हाथ रहे, तू हरदम साथ रहेकुछ मै तुझसे कहूँ, कुछ तू मुझसे कहेमै सब कुछ सहुं, तू कुछ ना सहेसुबह शुरू तुझसे, ख़त्म हो तुझपे सहरजहाँ हम तुम रहे, बना खुशियो का घर ...कुछ तुम चलोगी, तो कुछ मै चलूँगाकभी तुम थकोग

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