कुछ अनकहे लफ्ज़
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हम एक बार फिर मिलेंगे, हमारा मिलना तो तय है आखिर हर ज़न्म में तो हमारी कहानी अधूरी नहीं हो सकती ना... तो मिलूंगा मैं तुमसे फिर किसी जन्म में.. किसी शहर... किसी गंगा घाट के किनारे... किसी स्टेशन पर
तुम्हें पता है,मैं अब भी बिलकुल वैसा ही हूँ जैसा तुम छोड़ कर गयी थी मुझे, ज़रा भी बदलाव नहीं आया है मुझमेंमैं आज भी कहीं जाते वक़्त वैसी ही साइड वाली मांग निकालता हूँ जैसी तुम्हें पसंद थी.... मेर
जल्दी थीं ना तुम्हें छोड़ के जाने की,तो अब क्यू बहाने बनाती हो वापस आने के लिए,जब दुनिया के सामने हुई थीं जुदाई अपनी,तो बचा ही क्या है अब छुपाने को,लोग कहते हैं की क्या बुरा हुआ है साथ तुम्हारे,तुम बता
तो सबकुछ गवां दिया बस एक तेरा इश्क़ संभाल लियाएक दौर में खुद के साये से भी मुकर गये पर फिर भी तेरे इश्क में संवर गएतेरी यादें फैला कर पूरे होजरे में हम हर शब़ तेरे रंग में ढ़ल गएमुस्कुरा कर कबूला हिज्
सर उठाने की जगह मिलती नहीं, इस दुनिया में रोज बिगड़ती है नियत लोगों की, इस दुनिया में दिल के जख्म अब भरते नहीं, इस दुनिया में पर उसे खुरेदने वाले बहुत मिल जाते हैं, इस दुनिया में ना इश्क बचा है ना वफ
अगर दूर जाना ही था तो पास ही क्यों आये,क्यो मेरा हाथ थामा,ओर क्यो मुझे झूठे सपने दिखाये,क्यो तुमने कहा था कि मै तुम्हें इस दलदल से बाहर निकलूंगा।क्यो की मेरे साथ कुछ दिन की दोस्ती का नाटक किया,जब मैं
जो कभी किसी के सामने नहीं झुका,वो लड़का एक लड़की के लिए खुदका गुरुर छोड़ के बैठा है,जिसे सब अकडू, गुस्सैल और चालाक बताते हैं,वो लड़का किसी के लिए शरीफ़ और पागल बनके बैठा है, और जो कभी सबको समझाता
मेरे जाने के बाद मुझे याद तो किया ही करोगे ना,सच बताओ मोहब्बत से नहीं,पर बिना ऐतबार वाली नजरों से मुझे देखा तो करोगे ना,मेरे जाने के बाद किसको मेरी जगह देने का सोचा है मुझे मेरे जाने के बाद किसी और मे
एक लड़का अक्सर मुस्कुरा के लेता है तेरा नाम लोग उससे जब भी पूछते है 'क्या है तेरा नाम'।मेरी क़िताब गुलाब के बग़ैर भी महकती है मेरी क़िताब की सफ़ पे लिखा है तेरा नाम।एक आरज़ू जो दिल मे रह जानी है&
मुझे लगा तुम मजबूर थीपता लगातुम चाहती तो तुम आ सकती थी।तुम्हारी चुप्पी टूटने का इंतजार कर रहा था जाना! तुम चाहती तो रिश्ता बचा सकती थीकबसे तुम्हारे वापस आने की आस लगी थी यार तुम ये फैसला पहल
रहना है दिल के पास तुम्हारे बस कुछ लम्हे और, जिने दो कुछ वक़्त साथ तुम्हारे बस कुछ लम्हे और,अब वक्त कहा कि सारी उम्र साथ जी ले हम, बयां कर दो जज्बात तुम्हारे बस कुछ लम्हे और,माना कि होगा कोई
तू सपना, मैं हकीकत तेरा हो जाऊँ तू कलमा, मैं मोहब्बत तेरा हो जाऊँतू वादा, मैं इरादा तेरा हो जाऊँ, तू रानी, मैं शहजादा तेरा हो जाऊँतू इबादत, मैं इनायत तेरा हो जाऊँ, तू हसरत, मैं रिवायत त