लखनऊ : जामा मस्जिद के इमाम मौलाना बुखारी के इस फतवे के बाद क्या उत्तर प्रदेश का मुसलमान इस बार चुनाव में बीएसपी को वोट देगा ? जामा मस्ज़िद के मौलाना बुखारी की बीएसपी के प्रति उमड़ी सहानुभूति से उत्तर प्रदेश के मुस्लिमो में बड़ी अस्मजंता की स्थिति उत्पन्न हो गई है कि कल तक जो मुलायम सिंह का समर्थक होता था आज मायावती का हितैषी कैसे हो गया ! लखनऊ के किसी भी मौलाना ने मायावती को समर्थन देने की बात अभी तक नहीं की है ।
SC / ST में अविश्वसनीयता की भावना पनपी
मायावती द्वारा मुस्लिमो को इस बार 100 सीटें देने से अनुसूचित जाति के लोगो में भी अविश्वसनीयता की भावना तेज़ी से पनप रही है जिसके कारण बीएसपी के मतदाताओं का बहुत बड़ा वर्ग समाजवादी पार्टी या भारतीय जनता पार्टी की ओर आकर्षित हो रहा है। मुसलमानो के कई वर्गों विरोधाभासी स्थिति में है क्योंकि कुछ बुद्धजीवियों की मुलायम सिंह से घनिष्ठता होने के कारण सपा से निकटवर्ती सम्बन्ध है। मुसलमानो का एक बड़ा धड़ अखिलेश के मुस्लिम विरोधी होने के कारण सपा से दूरी बना रहा है।अखिलेश के मुस्लिम विरोधी होने की पुष्टि स्वंम मुलायम सिंह भी कर चुके है। इधर आज़म खान को वोट न देने की अपील से आज़म समर्थक मुस्लिम मुलायम से इस कारण खफा है कि मुलायम सिंह अमर सिंह के विरुद्ध मौन साधे बैठे है।
मुस्लिम वोटर रहा है भटक
कुल मिलाकर वास्तविक स्थिति यह है कि मुसलमानो अभी तक अपना मन स्थिर नहीं कर सका है कि किसे वोट दे. प्रथम चरण के चुनाव में भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम समुदाय का वोट पार्टियों के बीच बटा हुआ नजर आया. निश्चित रूप से इसका लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिलेगा। वैसे शिया समुदाय का अधिकांश वोट पहले से ही भाजपा को मिलता रहा है। अब असमंजस में पड़ा मुस्लिम वोट मुलायम सिंह या मायावती की किसी बड़ी घोषणा के इंतज़ार में है जिसके आधार पर वोट का रुझान स्पष्ट हो सकेगा ।