नई दिल्ली : दुनिया को ठुल्लू पकड़ाने वाले पूर्व बीजेपी सांसद नवजोत सिंह सिद्धू को मिल गया बाबाजी का ठुल्लू. और अब उनकी भी वही दशा हो रही है जैसे छोटे पर्दे पर आने कपिल नाईट के प्रतियोगियों की अंत में ठुल्लू मिलने पर होती है. दरअसल सिद्धू भी पंजाब की राजनीति क प्रतियोगिता में जब बाज़ी हारे तो उन्हें भी अंत में बाबाजी का ठुल्लू ही मिला. जिसके चलते अपने राजनीतिक करियर में मंजिलों की उड़ान भरने का जो सपना उन्होंने सँजोया था. वह जब धराशाही हुआ तो वह ना इधर के रहे और ना ही उधर के.
सिद्धू ने गंवाया पीएम का प्रस्ताव
सूत्रों के मुताबिक आम आदमी पार्टी से छह माह पहले दिए गए बड़े अवसर को जहां पूर्व बीजेपी सांसद नवजोत सिंह सिद्धू ने गंवा दिया वहीँ बीजेपी में बने रहने के लिए पीएम नरेन्द्र मोदी की ओर से दिए जा रहे तोहफे से असन्तुष्ट होकर इस प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगाने में इतनी देर कर दी कि वह ना राज्यसभा जा सके और मंत्री बन सके. बताया जाता है कि पूर्व बीजेपी सांसद सिद्धू की पंजाब में लड़ाई अकालियों से नहीं बल्कि सीएम प्रकाश सिंह बादल के बेटे और पंजाब के डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल से है. पार्टी के जानकर बताते है कि दोनों नेताओं के बीच लंबे समय से चल रहे मनमुटाव को खत्म करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हस्तक्षेप किया था, लेकिन सिद्धू के ना मानने पर समझौता नहीं हो सका.
बड़ा बनने के चक्कर में छोटा भी नहीं बन सके सिद्धू
यही नहीं जब उनके 'आप' में जाने कि बात उछली तो पार्टी में उनकी अहमियत बढ़ी और पीएम ने स्वंय उन्हें राज्यसभा भेजने कि हामी भरते हुए उन्हें मंत्री बनाये जाने का प्रस्ताव दिया, लेकिन सिद्धू बीजेपी छोड़कर पंजाब में 'आप' का बड़ा चेहरा ( मसलन सीएम) बनना चाह रहे थे. लेकिन उन्होंने यह भी समय गंवा दिया था. जिसके चलते उनके हाथ से यह भी मौका निकल गया. अब 'आप' ने उनकी पत्नी नवजोत कौर को पंजाब में डिप्टी सीएम बनाने का प्रस्ताव रखकर उनको बाबाजी का ठुल्लू हाथ में थमा दिया दिया है. बताया जाता है कि करीब छह महीने पहले जब सिद्धू बीजेपी से नाराज थे तो पंजाब में 'आप' के प्रभारी संजय सिंह ने उनसे संपर्क किया था.
निर्णय लेने में देर कर चूके सिद्धू
दोनों लोगों के बीच यह बात भी तय हो गयी थी कि अगर पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनती है तो उनकी पत्नी नवजोत कौर को पंजाब का गृहमंत्री और उन्हें पार्टी की तीन राज्यसभा सीटों में से एक सीट पर राज्यसभा भेज दिया जायेगा, लेकिन सिद्धू ने संजय सिंह के इस प्रस्ताव पर मुहर लगाने में इतनी देर कर दी कि वह इस मौके से भी चूक गए. हालाँकि इस डील के लीक हो जाने के बाद बीजेपी ने उन्हें मनाने कि कोशिश की थी, लेकिन सिद्धू नहीं माने. आपको बता दें कि आम आदमी पार्टी में एक परिवार से एक ही व्यक्ति को राजनीति में शामिल करने का नियम है.इसलिए पार्टी अपने बनाये नियमों को तोडना नहीं चाहती.
पंजाब में सिद्धू के पास चार विकल्प
इसलिए सिद्धू के पास अब एक ही विकल्प बचा है कि वह या तो सबकुछ भूलकर फिर से बीजेपी में लौट जाएँ. दूसरा विकल्प यह कि वह पंजाब में केजरीवाल की सरपरहस्ती में 'आप' का प्रचार करें. इसी तरह तीसरा विकल्प उनके पास कांग्रेस में जाने का है तो उसमें भी उनकी दाल गलने वाली नहीं दिखती. इसकी वजह यह है की पंजाब में 'आपरेशन ब्लू स्टार' के दौरान स्वर्ण मंदिर में चली गोलियों को लेकर कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार का जबरदस्त विरोध किया था. जिसके चलते वह कांग्रेस में शामिल नहीं हो सकते. इसके अलावा सिद्धू के पास चौथा विकल्प अब यह बचा है कि वह पंजाब में या तो अपना चौथा मोर्चा बनाएं. जिसमें कांग्रेस वह बीजेपी और अन्य दलों से असन्तुष्ट नेताओं को शामिल कर वह राज्यभर की सभी विधानसभा सीटों पर से अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारें. लेकिन इसमें भी इतनी देर हो चुकी है की वह भी अचानक से संभव नहीं है. लेकिन चर्चा यही है कि अपना सब कुछ गंवाने के बाद अब सिद्धू पंजाब में चौथे मोर्चे का गठन करने का मन बना चुकें हैं.