या नई दिल्ली: यमुना नदी के किनारे मार्च में हुए श्री श्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग (AOL) के वर्ल्ड कलचर फेस्टिवल ने यमुना को भारी नुकसान पहुंचाया। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की तरफ से बनाई गई एक्सपर्ट कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में ऐसी बात कही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च में हुए World Culture Festival की वजह से यमुना के आसपास की मिट्टी (फ्लडप्लैन) को भारी नुकसान पहुंचा है और जैव विविधता वहां से हमेशा के लिए गायब हो गई है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सबसे ज्यादा नुकसान उस जगह को पहुंचा है जहां पर रविशंकर ने अपना विशालकाय स्टेज लगवाया था। यह रिपोर्ट कमेटी की तरफ से एनजीटी को 28 जुलाई को सौंपी गई। इस रिपोर्ट को जल मंत्रालय में सचिव शशि शेखर की अध्यक्षता में तैयार किया गया।
क्या था ये पूरा मामला
देश की राजधानी दिल्ली में आर्ट ऑफ लिविंग ने यमुना नदी के किनारे 11 से 13 मार्च तक ‘वर्ल्ड कल्चरल फ़ेस्टिवल’ कराया था। इसमें कई देशों से हज़ारों लोगों शामिल हुए थे। इस फेस्टिवल में पीएम नरेंद्र मोदी सहित सभी केंद्रीय मंत्री और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल सहित कई राज्यों के सीएम भी शरीक हुए थे। इस फेस्टिवल का विरोध कई संगठनों और पर्यावरण एक्टविस्ट्स ने किया था। विरोध करने वालों का कहना था कि इस आयोजन से यमुना और पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा। यह मामला एनजीटी तक पहुंचा। एनजीटी ने आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति के लिए 5 करोड़ रुपए का हर्जाना लगाते हुए प्रोग्राम को कराने की परमिशन दी थी। इसमें से 25 लाख की रकम आर्ट आफ लिविंग ने 11 मार्च को कार्यक्रम से ठीक पहले अदा कर दिए थे। 31 मई को आर्ट ऑफ लिविंग ने हर्जाने के बचे 4 करोड़ 75 लाख रुपए ड्राफ्ट के जरिए डीडीए को अदा कर दिए।
आर्ट ऑफ लिंविंग ने दिया जांच में दखल
कमेटी ने यह भी कहा है कि आर्ट ऑफ लिविंग के वालंटियर उन्हें साइट पर अकेला नहीं छोड़ते थे और जबरदस्ती की खातिरदारी करते थे। लेकिन एक बार कमेटी के सदस्य बिना उन्हें जानकारी दिए जांच के लिए चले गए। तब से सारी बातें सामने आईं। वहीं जब आर्ट ऑफ लिविंग (AOL) से इस बारे में जवाब मांगा गया तो उन्होंने कहा कि उन्होंने एनजीटी (NGT) से कमेटी में बदलाव के लिए बोला हुआ है। इस मामले की अगली सुनवाई 28 सितंबर को होनी है।
आर्ट ऑफ लिविंग का जवाब
आर्ट ऑफ लिविंग इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है, ‘कमेटी के पुर्नगठन की हमारी अप्लीकेशन पर NGT को अभी सुनवाई करनी है इसलिए हमारी अप्लीकेशन सुने जाने से पहले कमेटी की रिपोर्ट पर विचार करना सही नहीं होगा।’ सभी फैक्ट्स पर विचार करने पर यह साफ है कि पर्यावरण नुकसान के सभी आरोप अनसाइंटिफिक,पक्षपाती और अन्सस्टेनबल है। हम रिपोर्ट को लेकर अपना विरोध डिटेल में दर्ज कराएंगे जब एक बार हम इसका अध्ययन कर लेंगे।