नई दिल्ली : केंद्र में मोदी सरकार और और दिल्ली के केजरीवाल सरकार दोनों इस वक़्त देश में ऐसे नेता है जिनसे लोग सबसे ज्यादा उम्मीद लगे बैठे हैं। मोदी ने गंगा को शीतल, निर्मल बनाने की बात कही और हुआ कुछ नही। तो केजरीवाल सरकार के दौर में भी दिल्ली की सडकों पर कूड़े के ढेर खूब पड़े रहे। ये दोनों पावरफुल नेता दिल्ली में ही बैठते हैं और उसी दिल्ली में स्कूलों की छुट्टियां कर दी गई हैं, कहा जा रहा है कि दिल्ली में 17 सालों में पहली बार प्रदूषण के स्तर ने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।
स्वास्थ्य जानकारों की माने तो दिल्ली के प्रदूषण में 10 घंटे रहने का मतलब है एक 42 सिगरेट पीना। आज जंतर मंतर पर दिल्ली के बच्चे मास्क पहने विरोध प्रदर्शन कर कर है वह इसलिए कि सरकारें इस इस प्रदूषण से निपटने के लिए कोई पर्याप्त कदम नही उठा पाए हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने दिल्ली को 'गैस चैंबर' कहा तो केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल दवे ने दिल्ली के लिए इसे आपात की स्थित बताया।
शनिवार की रात तो प्रदूषण ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए आज सुबह 9 बजे दिल्ली के आरके पुरम की हवा प्रति क्यूबिक मीटर PM 10 की मात्रा 999 दर्ज की गई वहीँ शांति पथ पर यह 662 रही। वहीँ 'इकनॉमिक टाइम्स' की एक रिपोर्ट की माने तो दिल्ली में पिछले 17 सालों में यह सबसे खतरनाक स्मोग है। डॉक्टर्स और एक्सपर्ट का कहना है कि दिल्ली के अस्पतालों में प्रदूषण से सम्बंधित 15-20 फीसदी मामले बढ़ने के लिए सूचित किया गया था लेकिन अब यह 60 फीसदी तक पहुंच चुके हैं।
एक्सपर्ट का कहना है कि बच्चे स्मॉग से सबसे से प्रभावित हो रहे हैं। इसलिए उनकी एक्स्ट्रा केयर करने की जरूरत है और उन्हें सुबह के वक़्त बाहर न भेजे क्योंकि उस कावट प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा है। जानकरों की माने तो दुनिया की 20 प्रतिशत आबादी प्रदूषण के कारण एलर्जिक बीमारियों, और अस्थमा से प्रभावित है।