नई दिल्ली: हिंदी समाचार चैनल एनडीटीवी इंडिया पर प्रतिबंध को लेकर सरकार चारों ओर से घिर चुकी है। सरकार ने चौतरफा आलोचना को राजनीति से प्रेरित बताकर खारिज करने का प्रयास किया है। सराकार के इस बयान पर अब एक नया विवाद खड़ा हो गया। एनडीटीवी इंडिया को पूरे देश से सपोर्ट मिल रहा है और साथ ही एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, ब्रॉडकास्टर्स असोसिएशन, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स असोसिएशन, इंडियन जर्नलिस्ट यूनियन और ऑल इंडिया न्यूज पेपर्स एडिटर्स कॉफ्रेंस ने भी सरकार के इस निर्णय की निंदा की है।
मीडिया पर अंकुश लगाना आपातकाल जैसा
सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि एनडीटीवी इंडिया पर प्रतिबंध लगाने का फ़ैसला किसी नए नियम के तहत नहीं बल्कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की पिछली सरकार द्वारा मुंबई में 2008 में हुए 26/11 आतंकवादी हमलों के बाद निर्धारित नियमों के तहत ही लिया गया है। देश भर के अलग अलग राजनीतिक दलों के नेताओं ने समाचार चैनल पर लगाए गए प्रतिबंध की तीखी आलोचना की है, जिसमें जेडीयू के नीतीश कुमार और आरजेडी के लालू प्रसाद यादव भी शामिल हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार का एनडीटीवी इंडिया पर प्रतिबंध लगाने का फैसला निंदनीय है और मीडिया की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने जैसा है। नीतीश ने कहा, ‘भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के महत्व से हम सभी अवगत हैं। मीडिया लोगों की आवाज उठाने में सहायक बनकर अधिकार एवं शक्ति के दुरुपयोग को रोकती है। केंद्र सरकार द्वारा एनडीटीवी इंडिया पर प्रतिबंध लगाना निंदनीय है।’ वहीं लालू प्रसाद ने एनडीटीवी इंडिया पर प्रतिबंध लगाने की कड़ी आलोचना की और कहा कि देश में आपातकाल जैसे हालात हो गए हैं। सीपीएम ने भी शनिवार को एनडीटीवी इंडिया पर एक दिन का प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के फैसले की निंदा की और इसे तुरंत वापस लेने का आग्रह किया। पार्टी पोलित ब्यूरो ने एक बयान में कहा, ‘सीपीएम द्दढ़ता से एनडीटीवी इंडिया पर केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने के आदेश की निंदा करती है। यह प्रेस की आजादी का दमन है।’ जेडीयू नेता के. सी. त्यागी ने भी प्रतिबंध को तुरंत वापस लेने की मांग की है।
मोद सराकार का अधिनायकवादी रवैया
CPM ने कहा कि इससे मोदी सरकार के अधिनायकवादी रवैये का पता चलता है। सीपीएम ने चैनल पर प्रतिबंध को तुरंत वापस लेने की मांग की है और सरकार से इस बात का आश्वासन भी मांगा कि वह भविष्य में इस तरह की कारवाई नहीं करेगी। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने प्रतिबंध की आलोचना करते हुए कहा, ‘यह प्रतिबंध पूरे भारत की मीडिया को एक संदेश है, कि या तो पक्ष में रहो या बाहर जाओ।’ उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार की यह कार्रवाई मुझे आपातकाल के दिनों की याद दिला रही है।’ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के अध्यक्ष एम. करुणानिधि ने बीजेपी सरकार की इस कार्रवाई को ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का हनन’ बताया है।