मातृभाषा जिसे बालक अपनी माता या परिवार से सीखता है, 'मातृभाषा' कहलाती है। जन्म के बाद प्रथम जो भाषा का प्रयोग करते है वही हमारी मातृभाषा है। जन्म से जो हम संस्कार एवं व्यवहार पाते है वे हम इसी के द्वारा पाते है। इसी भाषा से हम अपनी संस्कति के साथ जुड़कर उसकी धरोहर को आगे बढ़ाते हैं।देश में अधिकतर लोगों को लगता है कि हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है लेकिन यह सही नहीं है. हिन्दी को संविधान में राजभाषा का दर्जा प्राप्त है. हमारे देश की कोई ऑफिशियल नेशनल लैंगुएज नहीं है. आपको हम पहले ही बता चुके हैं कि भारतीय संविधान में किसी भी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिला हुआ है। हिंदी हमारी मातृभाषा, राष्ट्रभाषा और राजभाषा है। हम सभी को बताया हैं कि जनगणना में हिंदी के तहत 65 मातृ भाषाएं सूचीबद्ध है. इनमें भोजपुरी भी शामिल है, जो 5 करोड़ लोगों की मातृभाषा है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सन् 1917 में सबसे पहले हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में मान्यता प्रदान की थी। लेकिन 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एकमत से इसे राजभाषा का दर्जा देने को लेकर सहमति जताई। 1950 में संविधान के अनुच्छेद 343(1) के द्वारा हिंदी को देवनागरी लिपि के रूप में राजभाषा का दर्जा दिया गया। मदर टंग' एक अमेरिकी लेखिका एमी टैन का निबंध है, जिनका जन्म 1952 में चीनी प्रवासियों के यहां हुआ था। टैन ने 'मदर टंग' 1990 में लिखा था, उनके उपन्यास द जॉय लक क्लब की जबरदस्त सफलता के एक साल बाद बात है।"हिंदी बेल्ट" शब्द का प्रयोग कभी-कभी उन नौ भारतीय राज्यों को संदर्भित करने के लिए भी किया जाता है जिनकी आधिकारिक भाषा आधुनिक मानक हिंदी है, अर्थात् बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड, साथ ही केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ आदि शहरों में होता हैं।
वास्तव में मातृभाषा मात्र अभिव्यक्ति या संचार का ही माध्यम नहीं, अपितु हमारी संस्कृति और संस्कारों की संवाहिका भी है। मातृभाषा में ही व्यक्ति ज्ञान को उसके आदर्श रूप में आत्मसात कर पाता है। भाषा से ही सभ्यता एवं संस्कृति पुष्पित-पल्लवित और सुवासित होती हैं। बिना मातृभाषा के आप अपने अनुभव को, अपनी अस्मिता को सुरक्षित नहीं कर सकते। अतः मातृभाषा के महत्व को इस रूप में समझ सकते हैं कि अगर हमको पालने वाली, 'माँ' होती है; तो हमारी भाषा भी हमारी माँ है। हमको पालने का कार्य हमारी मातृभाषा करती है इसलिए इसे 'मां' और 'मातृभूमि' के बराबर दर्जा दिया गया है। उदाहरण जैसे :- उत्तरप्रदेश का राज्यभाषा भोजपुरी है। मातृभाषा – भाषा का वह रूप जिसे बालक सबसे पहले अपने परिवार में रहकर सीखता है वह मातृभाषा कहलाती है। वह भाषा जिसे बालक अपनी माता या परिवार से सीखता है, 'मातृभाषा' कहलाती है। जन्म के बाद प्रथम जो भाषा का प्रयोग करते है वही हमारी मातृभाषा है। मातृभाषा शिक्षा से तात्पर्य स्कूली शिक्षा के किसी भी रूप से है जिसमें बच्चों को सीखने में मदद करने के लिए उस भाषा या भाषाओं का उपयोग किया जाता है जिनसे बच्चे सबसे अधिक परिचित हैं। यह आमतौर पर वह भाषा है जो बच्चे घर पर अपने परिवार के साथ बोलते हैं। 'मातृभाषा' का यह आवश्यक नहीं है कि वह माँ द्वारा बोली जाने वाली भाषा हो। 1961 की जनगणना के अनुसार वर्तमान भारत में 1652 से भी अधिक मातृ भाषाएं हैं जो मूलरूप से 5 विभिन्न भाषायी परिवारों से संबंध रखती है। 1991 की जनगणना में 10,400 मातृ भाषाओं के अपरिष्कृत आंकड़े सामने आए उन्हें 1576 मातृ भाषाओं में समायोजित किया गया। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार देश की आधिकारिक भाषा देवनागरी लिपि में हिंदी होगी। संस्कृत और तमिल दोनों को सबसे पुरानी भाषा माना जाता है, लेकिन दोनों में से कौन सी एक भाषा सबसे पुरानी है, इसे लेकर अकसर लोग कन्फ्यूज रहते हैं. तमिल भाषा का रिकॉर्ड इतिहास 2300 साल से अधिक पुराना है. इसका सबसे पुराना लिखित रिकॉर्ड तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व का माना जाता है, जिसके बाद से भाषा का विकास जारी है। मातृभाषा परिकल्पना से तात्पर्य है कि भाषा का उपयोग मातृवंशीय विरासत का अनुसरण करता है। पितृभाषा परिकल्पना से तात्पर्य है कि पहले से ही आबादी वाले क्षेत्र में स्थानीय भाषा पर पैतृक वंश हावी है, जिसे अन्य आनुवंशिक और मानव शास्त्रीय शोधों के आधार पर प्रस्तावित किया गया। मातृभाषा में माधुर्य और पूर्णता की अनुभूति होती है। यह प्राथमिक शिक्षा ही मुख्य आधार है। मातृभाषा की अपनी कहावतें, लोककथाएं, कहानियां, पहेलियां, मुहावरे होते हैं, जिनका सीधा संबंध हमारी स्मृति भूमि से होता है। इस निर्णय के बाद हिंदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। 14 सितंबर 1953 को पहली बार देश में हिंदी दिवस मनाया गया। तब से ज साल पूरे देश में हिंदी दिवस बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 (1) के अनुसार हिंदी हमारे देश की राजभाषा है। इस अनुच्छेद में यह व्यवस्था है कि संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा। चौसठ प्राचीन भारतीय लिपियों की इस सूची का एक संस्करण एक भारतीय बौद्ध पाठ के चीनी अनुवाद में पाया जाता है, और यह अनुवाद 308 ई.पू. का बताया गया है। जैन धर्म के विहित ग्रंथों में अठारह लिपि की सूची है, तय जिसमें लेखन लिपियों के कई नाम हैं जो चौंसठ लिपि की बौद्ध सूची में नहीं आते हैं। देवनागरी लिपि, जिसमें १४ स्वर और ३३ व्यञ्जन सहित ४७ प्राथमिक वर्ण हैं, दुनिया में चौथी सबसे व्यापक रूप से अपनाई जाने वाली लेखन प्रणाली है, जिसका उपयोग १२० से अधिक भाषाओं के लिए किया जा रहा है।
आओ मिलकर हिन्दी दिवस मनाते हैं।