
नई दिल्लीः बुरे दिन कैसे आते हैं। यह सवाल कोई देश की कभी मशहूर नृत्यांगना रहीं तारा बालगोपाल से रूबरू होकर पूछे। भरतनाट्यम व कथक की जिस नृत्यांगना के नाम पर सरकार 1962 में डाक टिकट जारी कर चुकी है, वह तारा गोपाल आज तंगहाली में जी रहीं हैं। जर्जर मकान में अकेले बदहाली में उनके गुजर-बसर करने की की बात कानों में पड़ते ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मदद की पहल शुरू कर दी है। उन्होंने दक्षिणी दिल्ली के मेयर सुभाष आर्या को तारा की मदद करने को कहा है। इसी के साथ एक बार फिर सुषमा स्वराज ने बता दिया कि संवेदनशीलता के कारण वे क्यों और मंत्रियों से अलग हैं।
1960 में संसद में पेश किया था प्रोग्राम
तारा बालगोपाल देश की मशहूर नृत्यांगना रह चुकी हैं। उन्होंने 1960 में संसद में उन्होंने डांस पेश कर समां बांध दी थी। इसके बाद 1962 में तारा के सम्मान में भारत सरकार ने डाक टिकट जारी किया। तारा का नृत्य शौक था। वे दिल्ली यूनिवर्सिटी के राजधानी कॉलेज में अंग्रेजी की रीडर रहीं।
कॉलेज ने रिटायरमेंट के बाद नहीं किया भुगतान
तारा बालगोपाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के जिस राजधानी कॉलेज में अध्यापन किया, जब वे रिटायर हुईं तो एक पैसे का भुगतना नहीं हुआ। न ही कॉलेज की ओर से पेंशन पास की गई।
जिससे बुढ़ापे में जीविका के लिए पैसे का कोई साधन न होने से तंगहाली बढ़ती गई। 2010 तक पति साथ रहे तो किसी तरह से जिंदगी चलती रही। मगर पति की मौत के बाद वह तनहा हो गईं। जिससे अब दो जून की रोटी भी किसी तरह नसीब हो रही है।
जर्जर मकान में सिसक रही जिंदगी
साउथ दिल्ली के जर्जर मकान में अकेले तारा किसी तरह जिंदगी काट रहीं हैं। उनके कोई दूरदराज का रिश्तेदार भी नहीं है। जो देखभाल कर चुके।
सचिन श्रीवास्तव नामक शख्स ने तारा की बदहाली की जानकारी देते हुए सुषमा स्वराज को ट्वीट किया। कहा किमैम, मुझे नहीं पता कि इससे आपको कितना फर्क पड़ेगा, लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि तारा गोपाल को आपके मदद और सहयोग की जरूरत है। इस पर सुषमा स्वराज ने रिट्वीट किाय कि मैं तारा बालगोपाल से जल्द से जल्द संपर्क कर मदद करूंगी। इसके बाद फिर ट्वीट किया कि उन्होंने तारा से बात कर ली है। भाजपा नेता व साउथ दिल्ली के मेयर सुभाष आर्या मिलकर उनकी मदद करेंगे।