संस्कृति अंदर पहुंचते हैं अपना नौटंकी शुरू कर दी ।लगता है आज मेरी आखरी दिन है पर कोई नहीं इतना कहकर वह गिरते पड़ते गाना गाने लगी ।
मैं दुनिया
मैं दुनिया तेरी छोड़ चला
मैं दुनिया तेरी छोड़ चला
ओ, मैं दुनिया तेरी छोड़ चला
ज़रा सूरत तो दिखला, जाना
दो आँसू ले के आँखों में
दो आँसू ले के आँखों में
तुम लाश पे मेरी आ जाना
मैं दुनिया...
ओ, मैं दुनिया तेरी छोड़ चला
ज़रा सूरत तो दिखला, जाना
तेरी राहें देखते-देखते ही
साँसों की डोरी टूट गई
मुझे प्यार तुम्हारा मिल ना सका
मेरे दिल की नगरी लुट गई
गाते हुए ग्लास से पानी ले कर अपनी आंखों पर मार कर रोने का एक्टिंग करने लगी ।उसकी एक्टिंग देखकर सब हंस रहे थे । हंसते हुए सात्विक बोला अरे ड्रामा क्यून तुम्हारा ड्रामा खत्म हो जाए तो बोलना हमें और भी काम है ।
संस्कृति अरे जालिमो मैं यहां मर रही हूं और तुम्हें लग रहा है कि मैं ड्रामा कर रही हूं ।🤨तुम सारे के सारे बेहिस हो । सबको छोला भटूरा निकाल कर देती है और कहती लो भूखड़ो जल्दी - जल्दी ठूसो और काम पर लग जाओ । सुबह से सिर्फ बैठ कर सिर्फ आराम फरमाया है तुम आलसियों के नाना नानियों ने । ऊ .. ह😏
संस्कृति की बात सुन उसके सारे दोस्त आरव सात्विक सृष्टि अपूर्वा वेदांत सक्षम एक दूसरे की ओर बड़ी बड़ी आंखें करके देख रहे थे ।
सक्षम धीरे से बोलता है जैसे ये देवी जी सारे काम खुद ही कि हो ।
संस्कृति सक्षम को बड़बड़ाते हुए देखाती है तो अपनी आंखें छोटी कर कमर पर हाथ रखते हुए उसकी तरफ झुक कर पूछी ।क्या बोला तुने डेढ पसली ?
सक्षम पीछे होते हुए बोला कुछ नहीं कुछ भी तो नहीं बोला ।
संस्कृति नहीं कुछ तो बोले ।
सक्षम हां वो मैंने कहा सच में तुम सुबह से सारे काम अकेले ही तो कर रही हो । फिर अपना सर हिलाते हुए . हा यही बोला था । सक्षम की ऐसी हरकत देख सब मन ही मन हँस रहे थे ।
संस्कृति हुम्म ..... आखिर मान ही लिये तुम सब की सुबह से मै काम किये जा रही हूं और किसी ने मुझे झूठे मूह भी एक ग्लास पानी के लीये भी नहीं पूछा । लगता है तुम सबके अंदर का इंसानियत मर गया है ।
अपूर्वा वेदांत सेधीरे से बोलती है तू कुछ करना इसका ।
वेदांत धीरे से क्यूं मुझ मासुम को मरवाने पे तुली हो । तुम खुद भी तो बोल सकती हो उससे ।
अपूर्वा नहीं यार मैंने तो बस इसलिए कहा कि वो शायद तुम्हारी बात मान जाए ।
वेदांत वैसे अच्छा दिमाग लगाया है मुझे मरवाने का । चलो ठीक है फिर ! एकबार ट्राई करके देखता हूं ।
वेदांत संस्कृति के पास जाता है जो उससे थोड़ी दूरी पर बैठी थी । उसके साइड में बैठ कर । थोड़ा बटर लगाते हुए उसके कंधे पर हाथ रख कर बोला - अरे ... मेरी प्यारी सी जान को कितना सताते हैं ना ! बहुत जुल्म करते हैं ये जुल्मी लोग । वेदांत अपना डोला💪🏻 दिखाते हुए बोला बताओ इनमें से कौन सबसे ज्यादा तुम्हे सताया है । मैं अभी उसका मुँह तोड़ दूँगा ।
संस्कृति उसकी बटरिंग समझ रही थी । वो सबके ओर स्माईल करते हुए देख बोली मुझे तो सबसे ज्यादा तुने ही सताया है अब मारो खुद को थोड़ो खुद का मुँह ।ये कह कर संस्कृति जोर - जोर से हंसने लगी ।🤣🤣😁😁😁😁😁🤣🤣😁 वही संस्कृति की बात सुन वेदांत का मुंह खुला - का खुला रह गया । उसकी ही बात अब उस पर भारी पड़ गयी थी ।
वेदांत की हालत देखकर सब जोर-जोर से हंसने लगे । तब अपूर्वा उन लोगों को टोकते हुए बोली — चलो भाई बहुत हंस लिए हम सब । अब अपने अपने काम पर लग जाते है क्योंकि अब ज्यादा टाइम नहीं है , शाम होने में और काम हमारे पास बहुत है । तो अपूर्वा के सारे दोस्त एक साथ हाँ में सर हिलाकर अपने - अपने कामों में लग जाते है । लगभग 5 घंटा तक लगातार मन लगाकर काम करते रहे । अब वह छोटा सा हॉल बिल्कुल रिसोर्ट की तरह दिख रहा था एक तरफ झरना दूसरी तरफ स्वीमिंग पूल , फूलों से सजे फोटे फ्रेम , डांस फ्लोर और एक तरफ अगल - अलग खाने - पीने की स्टॉल थी ।
अरे भाई आप लोग सोच रहे होंगे कि एक तो छोटा सा घर और उसमें झरना ,स्वीमिंग पूल खाने की स्टॉल ये सब कैसे हो सकता है भला ?तो बताते चलू कि हमारी खुरापाती जुगाड़ू दिमाग वाली संस्कृति को कम मत समझिए । उसके पास सब का ऑप्शन होता है ।उसने स्विमिंग पूल झरना और खाने पीने की स्टॉल की कमी को पोस्टर से पूरी की है ।बड़ी स्मार्ट है हमारी संस्कृति😎
#savvy friends 💃🏻🙃😉 (मै यहाँ अपने फ्रेंड ग्रुप का नाम दी हूं । ) एक नजर अपने द्वारा बनाये नकली रिसोर्ट को देखते हैं और एक दूसरे को हाई-फाई देते हैं ।
तभी सात्विक बोलता है भई मानना पड़ेगा गजब का टाइलेंट छूपा है हम सब के अंदर कुछ ही घन्टों में रिसोर्ट ही बना डाला😁😁😁
आरव अच्छा अब घर जा कर रेडी सेडी भी होना या इसी गंदे कपड़े में ही पार्टी करनी है ।
सृष्टी अरे नहीं यार ऐसे कैसे हो सकता है भला । चलो -चलो लेट हो जायेगा । हमे घर जाकर वापस भी तो आना है यहाँ हमारे रिसोर्ट में😁 और सब अपने - अपने घर चले जाते है रेडी होने ।
पार्टी शाम 6 :00 बजे से शुरू होनी थी तो संस्कृति सोची थोड़ी देर रेस्ट कर लेतु हूँ और वो सोफे पर लेट गई। लेटते ही थकावट की वजह से संस्कृति को निंद आ जाती है । जब उसकी आँख खुलती है तो घड़ी देख कर खुद पर झुझलाते हुए बोलती है । क्या संस्कृति तुझे हर वक्त सोने की पड़ी रहती है अब देखो बस आधे घण्टे ही बचे है 6:00 बजने में और तु अभी तक रेडी भी नही हुई । यार वो सब आते ही होंगे । भाग संस्कृति भाग रेडी होने नहीं तो आते ही शुरू हो जायेंगे सब । और वो अपना ड्रेस लेकर जल्दी से वॉशरूम में चली गयी ।
क्रमश : .....