अपने इस लेख को उक्त शीर्षक देते समंय मैं स्वयं हैरान हुं कि आखिर मेरे सामने यह नौबत क्यों आई और मैं इस शीर्षक से यह लेख क्यों लिख रहा हुं । वास्तव में मैं पूर्व में आयोजित 9 विश्व हिंदी सम्मेलनो के संकल्पों के अनुसार 10 जनवरी, 2015 को मनाए गए विश्व हिंदी दिवस से लेकर आज तक कुछ टीवी चैनलों और समाचार पत्रों में हिंदी संबंधी समाचारों को फालो कर रहा था । इस दौरान अनेक समाचार और आयोजन चर्चा में रहे जैसे भ्रष्टाचार का मुद्दा, चुनावों में भाषणों का गिरता स्तर, वर्तमान सरकार का जनता से किया गया अपना वायदा पूरा नहीं कर पाना, जनधन योजना अधीन करोड़ों लोगो की ओर से बैंक अकाऊंट खोल लेना, भारतीय जनता के लिए सस्ती बीमा एवं स्वास्थ्य योजनाएं, भूमि अधिग्रहण बिल, बाबाओं की ओर से भारतीयों की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़, जंतर मंत्र पर भूतपूर्व सैनिकों का एकसमान रैंक एकसमान पेंशन आंदोलन, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का तीन दिवसीय अधिवेशन, मशहूर टीवी धारावाहक महाभारत में युधिष्ठिर का किरदार निभाने वाले एफटीटीआई पुणे के नवनियुक्त अध्यक्ष गजेंद्र चौहान को पद से हटाने के लिए वहां के छात्रों का लंबे समय से जारी आंदोलन, बिहार चुनाव, महिला सुरक्षा, महिला सशक्तीकरण और इंद्राणी प्रकरण । इन सब में आजकल समाचार पत्रों, टीवी चैनलों और सोशल मीडिया में शीना वोरा मर्डर केस ही सब से अधिक सुर्खियां बटोर रहा दिखता है । पूरा दिन टीवी चैनलों पर शीना मर्डर मिस्ट्री देखकर आम जनता के साथ-साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के भी कान पक चुके हैं तथा उन्हें मुंबई पुलिस को यहां तक नसीहत देनी पड़ी कि इंद्राणी केस की ही भांति दूसरे मामलों पर भी बराबर ध्यान दिया जाए । वहीं पूरे देश में भारत सरकार के दिशानिर्देशों अनुरुप सितंबर माह में केंद्र सरकार के कार्यालयों/उपक्रमों/निकायों में हिंदी दिवस/सप्ताह/पखवाड़ा/माह मनाया जाता है जिसका शुभारंभ एक सितंबर से हो जाता है । बहुत सी गैरसरकारी संस्थाएं भी अपने स्तर पर आयोजन करती हैं । इस बार तो हिंदी समर्थक इसलिए भी उत्साहित हैं क्योंकि दिनांक 10.09.15 से 12.09.15 तक दसवां विश्व हिंदी सम्मेलन भोपाल, मध्य प्रदेश में हो रहा है ।
नई दिल्ली के तीसरे विश्व हिंदी सम्मेलन के बाद 32 वर्ष बाद यह सम्मेलन भारत में आयोजित हो रहा है । यह संकल्पना 9वें विश्व हिंदी सम्मेलन में की गई थी और तत्कालीन आयोजन समिति की ओर से इसे भारत की बढ़ती तकनीक और संचार की क्षमताओं में हिंदी की सहभागिता बढ़ाने के लिए अहिंदी भाषी क्षेत्र में आयोजित किए जाने का संकल्प था किंतु भारत की विदेशमंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज की व्यक्तिगत रुचि के कारण यह सम्मेलन भोपाल में आयोजित हो रहा है । पहले दो सम्मेलन गैर सरकारी थे तीसरे का आयोजन मानव संसाधन मंत्रालय के अंतर्गत हुआ किंतु चौथे सम्मेलन से यह विदेश मंत्रालय के अधीन हो गया । सम्मेलन का आयोजक विदेश मंत्रालय है, सहयोगी राज्य मध्य प्रदेश है और माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय, अटलबिहारी बाजपेयी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय और महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय सहयोगी संस्थान हैं । सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 10 सितंबर सुबह 10 बजे आयोजन स्थल लाल परेड मैदान में करेंगे । दुनिया के 27 देशों के तकरीबन 2000 लोग इसमें शामिल होंगे । 12 सितंबर को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह समापन वक्तव्य देंगे । समापन समारोह में स्वागत भाषण मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान का होगा । समापन समारोह में विशिष्ट अतिथि श्री अमिताभ बच्चन आओ अच्छी हिंदी बोलें विषय पर उद्बोधन देंगे । इस बार का विश्व हिंदी सम्मेलन हिंदी के साहित्यक पक्ष की बजाए हिंदी जगत के व्यावहारिक उपयोग पर अधिक बल देगा । यह हिंदी जगत के विस्तार एवं संभावनाओं पर केंद्रित रहेगा जिसमें हिंदी के विकास, प्रवासी लेखकों, लोकतंत्र, मीडिया, रोजगार, ज्ञान-विज्ञान, फिल्मी और रंगमंच की दुनिया में हिंदी भाषा को लेकर चर्चा होगी । उद्घाटन एवं समापन सत्र के अलावा कुल 28 सत्र आयोजित किए जाएंगे । देश और विदेश के 20-20 विद्वानों को सम्मानित किया जाएगा । तीन दिन के आयोजन में विदेश नीति, शासन, विज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी की उपयोगिता पर प्रकाश डाला जाएगा । इन विषयों पर सत्रों का संचालन विदेश मंत्री स्वराज, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन और केंद्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद करेंगे । सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़े उद्योगपतियों और कंपनियों को भी इस सम्मेलन में आमंत्रित किया गया है । गूगल, एप्पल, भारतकोश, सी-डैक जैसी कंपंनियां सम्मेलन में भाग लेंगी । सम्मेलन में गिरमिटिया देशों में हिंदी, हिंदीतर राज्यों में हिंदी, बाल साहित्य में हिंदी, विदेशों में हिंदी शिक्षण की सुविधा, भारत में विदेशियों के लिए हिंदी शिक्षण की सुविधा, देश-विदेश में हिंदी प्रकाशन की समस्या एवं हल तथा हिंदी पत्रकारिता में भाषा की शुद्धता पर भी अलग-अलग सत्र आयोजित किए जाएंगे । सरकारी दस्तावेजों में अनुवाद की शब्दावली को लेकर दिक्कतों पर चर्चा के लिए पारिभाषिक शब्दावली की उपयोगिता, अनिवार्यता एवं व्यवहारिकता पर भी चर्चा की जाएगी । सम्मेलन में दक्षिण भारत सहित देश के सभी मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित किया गया है । मीडिया से करीब तीन सौ प्रतिनिधियों सहित करीब 3000 लोग सम्मेलन में शामिल रहेंगे जबकि उद्घाटन एवं समापन समारोह में 5000 लोग शामिल रहेंगे । सम्मेलन के आयोजन पर विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करने के लिए विचार-विमर्श, परामर्श, और प्रबंधन के लिए तीन समितिया गठित की गई हैं । परामर्शदाता मंडल, प्रबंधन समिति एवं कार्यक्रम संचालन समिति बनाई गई है । आयोजन समिति की अध्यक्ष श्रीमती स्वराज हैं और विदेश राज्यमंत्री जनरल वी.के सिंह उपाध्यक्ष हैं । शहर के चौराहों के नाम तुलसी चौराहा, सूर चौराहा, रसखान चौराहों के नाम से सजाकर शहर को एक विशेष थीम से सजाया जाएगा । लाल परेड मैदान को माखन लाल चतुर्वेदी परिसर का नाम दिया गया है जबकि अन्य स्थानों को रामधारी सिंह दिनकर, सुभद्रा कुमारी चौहान, राजेंद्र माथुर, दुष्यंत कुमार, काका कालेलकर आदि नामों से जाना जाएगा । भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी की पहल पर विश्व हिंदी सम्मेलन की शुरुआत 1975 में दिनांक 10 से 12 जनवरी तक नागपुर में प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन से हुई थी और तबसे दूसरा विश्व हिंदी सम्मेलन 28-30 अगस्त, 1976 पोर्ट लुई मारीशस, तीसरा 28-30 अक्तूबर, 1983 नई दिल्ली, चौथा 02-04 दिसंबर, 1993 पोर्ट लुई, मारीशस, पांचवां 04-06 अप्रैल, 1996 पोर्ट ऑफ स्पेन त्रिनीडाड-टोबैगो(त्रिनीदाद एवं टोबैगो), छठा 14-18 सितंबर, 1999 लंदन यू.के, सातवां 06-09 जून, 2003 पारामरिबो सूरीनाम, आठवां 13-15 जुलाई, 2007 न्यूयार्क संयुक्त राष्ट्र अमेरीका, नौवां 22-24 सितंबर, 2012 जोहांसबर्ग, दक्षिण अफ्रीका और 10वां 10-12 सितंबर, भोपाल भारत में होने जा रहा है । भारत सरकार के अनुसार हिंदी को संयुक्त राष्ट्र में कामकाज की भाषा बनवाने के लिए कम से कम 129 वोट(दो तिहाई बहुमत) की दरकार है । अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के लिए भारत को 177 सह प्रस्तावक मिले थे । बजट की व्यवस्था तो कभी भी हो सकती है किंतु भारत को संयुक्त राष्ट्र संघ में स्थायी सदस्यता मिलने तक हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ में कामकाज की भाषा बना पाना संभव नहीं है, यह कहना है वर्तमान भारतीय विदेशमंत्री का । जबकि यूपीए सरकार ने 2 अक्तूबर को विश्व अहिंसा दिवस और एनडीए सरकार ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रुप में पारित करवा लिया था । संयुक्त राष्ट्र की 6 अधिकृत भाषाएं अरबी, चीनी, फ्रैंच, अंग्रेजी, रशियन, स्पेनिश हैं । हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की अधिकृत भाषाओं में शामिल कराने के लिए कुछ प्रशासनिक एवं वित्तीय जरुरतें हैं जिनको भारत सरकार और हिंदी प्रेमी पूरा करने में असफल रहें हैं । अगर अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस और योग दिवस को अपेक्षित समर्थन मिल सकता है तो हिंदी के मामले में क्यों नहीं । इसका उत्तर है कि आज के समय में यदि कोई राजनेता इस चुनावी घोषणापत्र के साथ चुनाव मैदान में उतरे कि वह भारत से अंग्रेजी को निकाल बाहर कर देगा तो शायद चुनाव में उसकी जमानत ही जब्त हो जाए । इसका एक उदाहरण है भारतीय संसद का शक्तिशाली निचला सदन लोकसभा जिसमें अफसरशाही ने अभी तक राजभाषा समिति का गठन तक नहीं होने दिया । विश्व हिंदी सम्मेलनों के संकल्पों अधीन स्थापित विश्व हिंदी सचिवालय मॉरीशस और महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय भी अपूर्ण लग रहें हैं क्योंकि इनकी विश्वभर में उपशाखाएं नहीं हैं । सबसे गंभीर समस्या तो यह है कि हिंदी के कार्यान्वयन और प्रचार-प्रसार में लगे अधिकतर लोग ही कंप्यूटर पर काम करते समय देवनागरी में टंकण कार्य नहीं कर सकते । वे भी विदेशियों और आम जनता की ही भांति ध्वन्यात्मक पद्धति(फोनेटिक) का सहारा लेकर कंप्यूटर पर हिंदी का कार्य निपटाते हैं । जो दिखता है वही बिकता है । इसीलिए हिंदी के नाम से रोटी खाने वाले अधिकतर मीडिया हाऊसों ने भी हिंदी से संबंधित समाचारों में कोई रुचि नहीं दिखाई मगर हिंदी से व्यापारिक लाभ लगातार उठाया जा रहा है और मुझे विश्व हिंदी सम्मेलन से संबंधित केवल दो समाचार ही मिल पाए । एक जब भारत की विदेशमंत्री ने विश्व हिंदी सम्मेलन के आयोजन से संबंधित प्रेस वार्ता की और दूसरी जब वे विश्व हिंदी सम्मेलन की तैयारियों संबंधी जायजा लेने के लिए भोपाल जा रही थीं । हिंदी दिवस/सप्ताह/पखवाड़ा/माह मनाये जाने से संबंधित समाचार भी एक दो समाचार पत्रों में मिल गए और वो भी आयोजक कार्यालयों और संस्थाओं द्वारा अपनी ओर से प्रेस नोट देकर छपवाए गए थे । यदि भारत में हिंदी का यही हाल रहा तो भविष्य में भी समाचारों में इंद्राणी जैसी व्यापारिक लाभ देने वाली खबरें ही जगह बनाए रखेंगी और हिंद्राणी(हिंदी) को समाचारों की सुर्खियां बनने के लिए लंबे समय तक प्रतीक्षा सूचि में जमा रहना पड़ेगा ।