एक कजरी गीत........चित्र अभिव्यक्ति पर
झूला झूले राधा रानी, संग में कृष्ण कन्हाई ना
कदम की डाली, कुंके कोयलिया, बदरी छाई ना
झूले गोपी ग्वाल झुलावे, गोकुला की अमराई
विहंसे यशुमति नन्द दुवारे, प्रीति परस्पर पाई ना॥
गोकुल मथुरा वृन्दावन छैया रास रचाई ना
छलिया छोड़ गयो बरसाने, द्वारिका सजाई ना
मुरली मनोहर राधा प्यारी चितवत आस लगाई
सुधिया ले लो गिरवरधारी, ऋतु झूला की आई ना॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी