मैं एक धर्म गुरु हूं
मुझ से बढ़ा धर्म गुरु न हुआ न होगा
मैं एक भक्त हूं
मुझ से बढ़ा भक्त न कोई हुआ न होगा
मैं एक स्वतंत्रता सेनानी हूं
मुझ से बढ़ा स्वतंत्रता सेनानी न हुआ न होगा
मैं एक क्रांतिकारी हूं
मुझ से बढ़ा क्रांतिकारी न हुआ न होगा
मैं एक इतिहासकार हूं
मुझ से बढ़ा इतिहासकार न हुआ न होगा
मैं एक साहित्यकार हूं
मुझ से बढ़ा साहित्यकार न हुआ न होगा
मैं एक खोजी हूं
मुझ से बढ़ा खोजी न कोई हुआ न होगा
मैं एक योजनाकार हूं
मुझ जैसा योजनाकार न कोई हुआ न होगा
मैं एक राजनीतिज्ञ हूं
मुझ से बढ़ा राजनीतिज्ञ न हुआ न होगा
मैं एक अध्यापक हूं
मुझ जैसा अध्यापक न कोई हुआ न होगा
मैं एक कलाकार हूं
मुझ जैसा कलाकार न कोई हुआ न होगा
मैं एक जनसेवक हूं
मुझ जैसा जनसेवक न हुआ न होगा
मन हो तो अपनाऊं, मन हो तो किसी का मजाक उड़ाऊं
जब न बने बात तो मुर्दे को बांग लगाऊं
और जिंदा विरोधियों पर डांग बरसाऊं
शब्दार्थ : - बांग = जोर से आवाज देना डांग = लाठी